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मंदसौर हिंसा: 44 साल का मजदूर, 19 साल का नौजवान, जमीन नहीं थी एक के भी नाम

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में मंगलवार (छह जून) को पुलिस की गोली से पांच लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में कोई भी भूमि मालिक नहीं था। मरने वाले में एक 19 वर्षीय लड़का भी था जो 12वीं का छात्र था। मरने वाले में एक 23 वर्षीय युवक भी था जिसकी दो महीने पहले ही शादी हुई थी और वो सेना में भर्ती होना चाहता था। एक 30 वर्षीय व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर था। बाकी दो अपनी खेती करते हैं लेकिन उनके पास अपनी कोई जमीन नहीं थी। जानिए कौन हैं मंदसौर के पिपलिया मंडी में किसान के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगों-

1- अभिषेक दिनेश पाटीदार- 12वीं में जीव विज्ञान का छात्र अभिषेक चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था। उसका परिवार मंदसौर-नीमच हाईवे पर स्थित बरखेड़ा पंथ गांव में रहता हैं। मंगलवार को उसके परिजनों और अन्य गांववालों ने अभिषेक का शव हाईवे पर रखकर सड़क जाम किया था। मौके पर पहुंचे डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह के संग गांववालों की धक्कामुक्की भी हो गई। अभिषेक के पिता दिनेश को परिवार की 28 बीघा खेती की जमीन में अभी तक उनका हिस्सा नहीं मिला है। दिनेश के अनुसार अभिषेक केवल नारे लगा रहे थे लेकिन पुलिस ने उसे नजदीक से गोरी मार दी।

2- पूनमचंद उर्फ बबलू जगदीश पाटीदार- पिपलिया मंडी से 25 किलोमीटर दूर स्थित तकरवाड़ गांव के रहने वाले पूनमचंद के पिता का जनवरी 2016 में देहांत हुआ था। बीएससी की पढ़ाई कर रहे पूनमचंद ने दूसरे साल में ही पढ़ाई छोड़ दी और खेती करने लगे। उनके पास सात बीघा पारिवारिक जमीन थी लेकिन आधिकारिक तौर पर उनके नाम नहीं हुई थी। उनकी शादी हो चुकी थी और वो इस बात से परेशा थे कि सोयाबीन, अदरक और गेंहूं की उनकी फसल लागत भी नहीं निकाल पाएगी। उनके रिश्तेदार सुभाष पाटीदार के अनुसार पुलिस की गोली सबसे पहले पूनमचंद को लगी और उसके बाद कन्हैयालाल को।

3- चैनराम गनपत पाटीदार- नयाखेड़ा गांव के चैनराम की 29 अप्रैल को अक्षय तृतिया के दिन शादी हुई थी। उनके पिता के पास दो बीघा जमीन है और वो खेती मजदूर के तौर पर भी काम करते हैं। चैनराम के पिता के अनुसार वो सेना में भर्ती होना चाहता था। चैनराम तीन बार सेना के भर्ती कैंप में जा चुका था लेकिन सफल नहीं हो सका। परिवारवालों के अनुसार चैनराम एक आंख में कुछ समस्या होने के कारण मेडिकल में छंट जाता था।

4- सत्यनारायण मांगीलाल धनगर- मंदसौर से 20 किलोमीटर दूर स्थित लोध गांव के सत्यनारायण सातवीं तक पढ़े थे। वो दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते थे और काम मिलने पर एक दिन में 200 रुपये कमा पाते थे। सत्यनारायण की अभी शादी नहीं हुई थी। उनके परिवार के पास करीब छह बीघा जमीन है लेकिन उनके नाम पर कोई जमीन नहीं थी।

5- कन्हैयालाल धुरीलाल पाटीदार- दो बच्चों के पिता कन्हैयालाल आठवीं तक पढ़े थे। चिल्लौड़ पिपलिया गांव के रहने वाले कन्हैयालाल की 16 वर्षीय बेटी और 11 वर्षीय बेटे स्कूल जाते हैं। कन्हैयालाल और उनके तीन भाइयों के पास कुल सात बीघा जमीन है। कन्हैयालाल के भाई सुरेश चंद्र पाटीदार ने बताया, “वो निडर आदमी थे और उन्हें लगा कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी क्योंकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था।”

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