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शिवराज सिंह चौहान की पुलिस ने बिना बयान-गवाह के ही 15 मुसलमानों पर लगा दिया राजद्रोह का चार्ज

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के मोहाद गांव में किसी को इस बात की खबर नहीं कि 18 जून को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान के हाथों भारत की हार पर किसी ने “खुशियां” मनाई थीं या पटाखे जलाए थे। पुलिस ने इस गांव के 15 लोगों पर भारत की हार पर पटाखे जलाने और देश विरोध  नारे लगाने के लिए राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था। अब पुलिस को सभी आरोपियों पर से मुकदमा वापस लेना पड़ रहा है। खुशियां किसने मनाईं या नारे किसने लगाए इस बारे में सुभाष लक्ष्मण कोली को भी नहीं पता जबकि उन्होंने पुलिस में इसकी शिकायत की थी। गांव में किसी ने भी पटाखे जलाने, पाकिस्तान के समर्थन या भारत के विरोध वाले नारे नहीं सुने।

कोली कहते हैं, “मैंने पुलिस को नहीं सूचित किया। मैं इतवार को एक पड़ोसी की मदद करने थाने गया था जिसे नारे लगाने के लिए पुलिस ले गई थी। मैंने कोई नारा नहीं सुना न ही मैंने पटाखे जलाने की शिकायत की। चूंकि मैं सोमवार को पुलिस थाने गया था इसलिए पुलिस ने मुझे गवाह बना दिया। मैं जज के सामने अपनी बात रखूंगा, पुलिस से मुझे डर है कि कहीं वो मुझे निशाना न बनाए।” 20-30 के बीच की उम्र वाले कोली गांव में डिश एंटीना की मरम्मत का काम करते हैं।

मुस्लिम बहुल मोहाद गांव की अपनी क्रिकेट टीम है। टीम का नाम “‘टारेगट” है। पास के गांवों में होने वाले टेनिस बॉल क्रिकेट मुकाबलों में गांव की टीम खेलने जाती रहती है। टीम में हिन्दू और मुसलमानों दोनों समुदायों के लड़के शामिल रहते हैं। राजद्रोह का मुकदमा दायर होने के बाद गांव में दोनों समुदायों के बीच एक तरह की तल्खी आ गई है। पुलिस ने 15 आरोपियों पर से राजद्रोह का मुकदमा वापस ले लिया लेकिन वो अभी भी जेल में हैं क्योंकि पुलिस ने अब उन पर “सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने” का मामला दर्ज कर दिया है। पुलिस ने जिन 15 लोगों पर ये मामला दर्ज किया है उनमें से किसी का भी किसी तरह को कोई आपराधिक अतीत नहीं रहा है। बुरहानपुर के पुलिस एसपी आरआर एस परिहार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “आरंभिक जांच के बाद हमें लगा कि धारा 124-ए (राजद्रोह) के बजाय 153-ए (सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने) ज्यादा उचित होगी।”

मोहाद की आाबादी करीब 5200 है। यहां के बहुत सारे मुसलमान तडवी उपनाम लगाते हैं। पडो़सी राज्य महाराष्ट्र में तडवी आदिसावी वर्ग में शामिल हैं लेकिन मध्य प्रदेश में वो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आते हैं। माना जाता है कि तडवी समुदाय के पूर्वज भील थे जो मुसलमान हो गए थे लेकिन उनके बहुत सारे रीती-रिवाज वही रहे जो पहले थे। गांव में हिन्दू और मुसलमान अलग-अलग टोलों में रहते हैं लेकिन दोनों ही एक दूसरे के तीज-त्योहार में शामिल होते हैं। गांववालों के अनुसार इस मुकदमेबाजी से दोनों समुदायों के बीच दरार पैदा हो जाएगी। जिन 15 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें से दो को छोड़कर बाकी अनपढ़ हैं और दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं। कुछ के घर में न तो टीवी है और न ही मोबाइल। कुछ गांववालों का आरोप है कि भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच के बाद पुलिस दो-तीन दिन गांव में घूमती रही और जिसे मन उसे उठा लिया।

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