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मुस्लिम ने रखी थी स्वर्ण मंदिर की नींव

स्वर्ण मंदिर को सिखों के लिए सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। स्वर्ण मंदिर को श्री हरमिंद्र साहिब के नाम से भी जाना जाता है। पंजाब के अमृतसर में बना यह स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है। एक आंकड़े के मुताबिक ताजमहल के बाद यहां सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। करीब एक लाख से ज्यादा पर्यटक रोज यहां आते हैं। स्वर्ण मंदिर धार्मिक एकता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इस मंदिर की नींव लाहौर के साईं मियां मीर नाम के एक मुस्लिम सूफी संत ने दिसंबर 1588 में रखी थी।

स्वर्ण मंदिर को बनाने के लिए गांव के एक जमींदार ने अपनी जमीन दान की थी। मंदिर को पहले पत्थर और ईंटो से बनाया गया था। बाद में इसमें सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया। मंदिर के निर्माण के करीब 2 शताब्दी के बाद यहां की दीवारों पर सोना चढ़वाया था। मंदिर में चार दरवाजे हैं जो चारों दिशाओं की ओर खुलते हैं। मंदिर के चारों ओर सरोवर है, जिसे अमृतसर सरोवर और अमृत सरोवरा भी कहा जाता है।

बताया जाता है कि इस मंदिर में रोज करीब एक लाख से ज्यादा लोग फ्री खाना खाते हैं। रोज यहां 12000 किलो आटा, 1500 किलो चावल, 13000 किलो दाल, 2000 किलो दाल खर्च होती है।

बताया जाता है कि करीब 500 साल पहले गुरु नानक जी ने लंगर लगाने का फैसला किया था। लंगर में खाना खिलाने वाले 90 फीसदी लोग सेवादार होते हैं, जो बिना कोई पैसा लिए काम करते हैं। स्वर्ण मंदिर की रसोई में रोटी बनाने की मशीन है, जो एक घंटे में 25 हजार रोटियां बना सकती है। यहां सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। खाने की प्लेट का पांच बार धोया जाता है।

औसतन यहां 70 हजार लोग खाना खाते हैं, लेकिन त्यौहारों में ये आकंडा लगभग एक लाख हो जाता है। मंदिर के दर्शन करने वाले लोगों में 30 से 35 फीसदी लोग ही ईंसाई धर्म के होते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर पर एक राजा ने हमला भी किया था। बताया जाता है कि अहमद शाह अब्दाली के सेनापति ने स्वर्ण मंदिर पर हमला किया, जिसके बाद सिख सेना ने सेनापति की सेना को खत्म कर दिया।

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