उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पर एक पीएचडी स्कॉलर ने खुद ही अपना पेपर सेट किया और खुद ने ही उसका मूल्यांकन कर दिया। यह मामला एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले आईईटी लखनऊ कॉलेज का है। इस फर्जीवाड़े को करने वाले व्यक्ति का नाम देवेश ओझा है। फिलहाल देवेश ओझा को ससपेंड कर दिया गया है और कॉलेज प्रशासन इस मामले की पूरी जांच कर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार देवेश ओझा ने 2015 में पीएचडी सिविल इंजीनियरिंग के लिए आईईटी में रजिस्ट्रेशन कराया था। देवेश को पीएचडी के लिए जरूरी एमटैक के दो पेपर देने थे। इनमें एसटीआर 32बी ड्यूरेबिलिटी ऑफ कॉन्क्रीट स्ट्रक्चर का पेपर भी शामिल था जो कि देवेश ने खुद ही तैयार किया था।
इतना ही नहीं इस पेपर की कॉपी का मूल्यांकन उसने अपने आप किया और खुद को इस परीक्षा में पास कर लिया। इस मामले का खुलासा उस समय हुआ जब मूल्यांकन इंचार्ज ने उसकी कॉपी देखी। इस मामले के सामने आने के बाद कॉलेज प्रशासन द्वारा तीन सदसीय एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने जांच में देवेश को दोषी पाया, जिसके बाद उसे कॉलेज से निलंबित कर दिया गया। इतना ही देवेश ओझा का पीएचडी दाखिला रद्द कर दिया गया और उसपर बैन लगाया गया कि वह भविष्य में कभी भी आईईटी लखनऊ में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकेगा।
कॉलेज प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देवेश ने कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर अपना नाम पेपर सेट करने वाले 4 शिक्षकों की एक टीम में दर्ज करवा लिया था। इसके बाद उसने खुद के सेट किए पेपर से एग्जाम दिया। इस मामले की जानकारी देते हुए आईईटी के निदेशक प्रोफेसर एएस विद्यार्थी ने कहा कि देवेश पर पूरे तरीके से बैन लगाया गया है। इसके साथ ही उन शिक्षकों से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है जिन्होंने देवेश की मदद की थी। कॉलेज प्रशासन ने कहा कि यह विषय बहुत गंभीर है इसलिए इसमें दोषी सभी लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।