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अखिलेश सरकार ने 20 Cr बेरोजगारी भत्ता बांटने पर खर्च किए 15 करोड़

लखनऊ. यूपी असेंबली सेशन के चौथे दिन कंट्रोलर एंड ऑड‍िटर जनरल (सीएजी) की रिपोर्ट सदन में पेश की गई। इस रिपोर्ट में अखिलेश यादव की ड्रीम योजनाओं में शामिल बेरोजगारी भत्ता योजना पर सवाल खड़े किए गए हैं। सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी भत्ता बांटने के लिए ऑर्गनाइज किया गया प्रोग्राम रूल्स के खिलाफ था। अखिलेश सरकार ने 20 करोड़ का बेरोजगारी भत्ता बांटने के लिए 15 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। 1 लाख 26 हजार 521 बेरोजगारों को बांटा भत्ता…
– सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि लेबर डिपार्टमेंट ने 2012-13 के दौरान 1,26,521 बेरोजगार लोगों को प्रोग्राम के दौरान चेक के जरिये 20.58 करोड़ रुपए की रकम बांटी थी। ये प्रोग्राम 69 जिलों में किए गए थे। इसकी शुरुआत सितंबर 2012 में लखनऊ के काल्विन तालुकेदार कॉलेज से हुई थी, जहां पर अखिलेश के प्रोग्राम में 10 हजार लोग जुटे थे। मंच पर 44 लोगों को मुलायम सिंह की मौजूदगी में चेक बांटा गया था।
– अलग-अलग जिलों में हुए प्रोग्राम के दौरान बेनीफिशरीज (लाभार्थियों) को इवेंट वेन्यू तक लाने में 6.99 करोड़ और उनके बैठने से लेकर खाने-पीने तक पर 8.07 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस तरह इन प्रोग्राम्स पर कुल 15.06 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
सीएजी का ये है तर्क
– सीएजी का तर्क है कि बेरोजगारी भत्ता योजना 2012 में शुरू की गई, जिसके लिए मैन्युअल (नियमावली) भी बनाया गया। इसके हिसाब से बेरोजगारी भत्ता बांटने के लिए बेनीफिशरीज को इवेंट वेन्यू तक लाने और उन पर अन्य खर्च करने का कोई प्राेविजन नहीं किया गया था।
– यह तब किया गया, जब भत्ते का भुगतान क्वार्टरली बेसिस पर बेनीफिशरी द्वारा उसके नेशनल बैंक या रीजनल बैंक में खोले गए अकाउंट में जाना था। बैंक अकाउंट का डिटेल एप्लिकेशन लेटर में भरना था और ज‍िसमें बैंक का नाम, अकाउंट नंबर और आईएफएससी कोड तक भरा गया था, जो कि बैंक अफसर से सर्टिफाइड भी था। इसके बाद भत्ते को सीधे अकाउंट में जाना था।
मुलायम सरकार से शुरू हुआ था सिलसिला
– बेरोजगारी भत्ते की योजना मुलायम के टेन्योर में शुरू हुई थी। उस समय 500 रुपए भत्ता दिया गया था, लेकिन 2007 में माया सरकार के आने के बाद योजना बंद हो गई थी।
– फिर अखिलेश सरकार में यह योजना शुरू हुई थी। 2012-13 में अखिलेश सरकार ने बजट में 9 लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने के लिए 697.24 करोड़ का बजट रखा था। हालांकि, एक साल बाद यह योजना बंद करनी पड़ी थी।
योगी सरकार का क्या कहना है?
– योगी सरकार के स्पोक्सपर्सन और कैबिनेट मिनिस्टर सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा क‍ि अखिलेश यादव ने समाजवाद के नाम पर बेरोजगारी भत्ते में सेंध लगा दी। बेरोजगारी भत्ता और लैपटॉप की बात करके अख‍िलेश युवा सीएम के तौर पर आए थे। लोगों को लगा एक नया विजन मिलेगा, लेकिन नहीं मिला।
– सिद्धार्थनाथ ने कहा कि 15.06 करोड़ की रकम भी कहीं न कहीं अपने प्रमोशन पर ही खर्च कर दी। एक तरह से अखिलेश यादव ने इसमें भी गबन कर लिया। इससे साफ हो गया है कि यह अखिलेश सरकार गुंडाराज और भ्रष्टाचार की सरकार रही है।

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