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दो दशकों से जारी है अवैध खनन, पर जांच ब्यूरो ने अब जाकर दी दस्तक

सहारनपुर

सियासी और नौकरशाही के मजबूत संरक्षण में पिछले 20 साल से सहारनपुर में नदियों से रेत, बालू और बजरी के हो रहे खनन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने दस्तक दी है। इससे खनन माफिया और उन्हें पालने पोसने वाले नौकरशाहों और सियासतदानों में हड़कंप मचा है। उम्मीद की जा रही है कि सीबीआइ जांच में कई खनन माफिया की गर्दन जाएगी। सीबीआई दिल्ली के एएसपी एनके पाठक की अगुवाई में एक दल ने बारह जून से सहारनपुर में डेरा डाल लिया है। यह टीम 12 दिन रहेगी और जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपेगी। इस बीच, नए जिला अधिकारी प्रमोद कुमार पांडे ने हाल ही में अवैध खनन के 437 मामलों में नोटिस जारी किए। इन पर एक हजार करोड़ का जुर्माना लग सकता है।

याचिकाओं से बनी बात
’सामाजिक कार्यकर्ता विकास अग्रवाल का आरोप है कि सहारनपुर के बड़े खनन माफिया की खनन विभाग से साठगांठ के कारण ऐसे लोगों को भी नोटिस जारी किए गए हैं जो खनन के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं। ’एक गैर सरकारी सामाजिक संगठन सेव इंडिया सोसायटी के संयोजक रणवीर सिंह की सुप्रीम कोर्ट में सितंबर-15 में लगाई गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ सहारनपुर के खनन माफिया के मामलों की केंद्र सरकार की चार एजेंसियों सीबीआई, आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और एसएफआई से पड़ताल करवा रही है। इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 10 जुलाई 2017 है। ’सहारनपुर में अवैध खनन की सीबीआई की जांच सामाजिक कार्यकर्ता सोनू कुमार की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही है। हालांकि सहारनपुर में अवैध खनन का धंधा 1997 से चल रहा है, लेकिन सीबीआइ का जांच दल केवल पांच साल के मामलों को जांचेगा।

सीबीआइ ने दस्तावेज कब्जे में लिए
सीबीआइ की जांच टीम ने जिलाधिकारी प्रमोद कुमार पांडे और जिला खनन अधिकारी पीके सिंह से मिलकर खनन संबंधी पूरा रिकार्ड अपने कब्जे में ले लिया। जांच टीम नोटिस पाए लोगों के बयान लेने में व्यस्त है। जांच की परिधि में पांच सालों के दौरान सहारनपुर में रहे जिलाधिकारियों की भूमिका भी शामिल है। जिलाधिकारी प्रमोद कुमार पांडे की ओर से जिले के 392 स्टोन थ्रेसरों की जांच शुरू कराई गई है और 100 से ज्यादा थ्रेसर मालिकों को नोटिस जारी किए गए हैं। पांच वर्षों में सहारनपुर में अवैध खनन की ऐसी 300 से अधिक गंभीर शिकायतें मिलीं जिनको संबंधित विभागीय अधिकारियों ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। इन फाइलों में अवैध खनन का पूरा ब्योरा है। उन पर कभी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।

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