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पांच साल में सीधी भर्ती से भरे 30 हजार पद

SI News Today

इलाहाबाद: उप्र लोकसेवा आयोग ने केवल पीसीएस और बड़े पदों की भर्तियों में ही खेल नहीं किया है, बल्कि सीधी भर्ती के चयन में भी नियमों का उल्लंघन किया है। अलग-अलग वर्गों के अभ्यर्थियों का मनमाने तरीके से साक्षात्कार लिया गया, जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय इस पर आपत्ति कर चुका है। प्रतियोगियों को उम्मीद है कि सीबीआइ जांच में यह प्रकरण भी दायरे में आएगा और भ्रष्टाचार से पर्दा उठेगा।

आयोग ने सपा शासनकाल में सीधी भर्ती के तहत करीब 30 हजार पदों पर भर्तियां की हैं। यह नियुक्तियां दो अप्रैल 2013 से 19 फरवरी 2016 के बीच हुई हैं।

अब तक सीधी भर्ती के तहत 20593 पद भरे जा चुके हैं, जिनमें प्रमुख रूप से चिकित्सा अधिकारी के 5682, पशु चिकित्साधिकारी के 557, प्रवक्ता उच्च शिक्षा तथा चिकित्सा के 1152, प्रवक्ता इंजीनियरिंग के 587 पद व जूनियर इंजीनियर के 598 पद शामिल हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के चौथे दिन ही बीते 22 मार्च को साक्षात्कार व परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी थी, उस समय एलोपैथिक चिकित्साधिकारी के 3286 समेत 3620 पदों के इंटरव्यू प्रभावित हुए थे। ये साक्षात्कार भी जांच के दायरे में होंगे। ज्ञात हो कि सीधी भर्तियों में केवल साक्षात्कार के आधार पर अंतिम सूची तैयार की जाती है। इसमें आयोग नियमों को दरकिनार करके मनमाने ढंग से पदों के सापेक्ष अलग-अलग वर्गों के अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित करता है।

प्रतियोगियों का कहना है कि आयोग की सीधी भर्ती का चयन उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है साथ ही अलग-अलग वर्गों को अलग-अलग अनुपात में आमंत्रित करना आरक्षण नियमावली का भी उल्लंघन है। इस पर प्रभावी रोक लगाने के लिए कई बार राज्यपाल सहित कार्मिक सचिव, लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष, आयोग सचिव, परीक्षा नियंत्रक को पत्र भेजा गया, किंतु सपा शासनकाल में कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब सीबीआइ जांच में यह प्रकरण प्रमुखता से उठेगा। प्रतियोगियों का कहना है कि जांच टीम को वह पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराने की तैयारी कर चुके हैं।

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