featuredउत्तर प्रदेश

योगी आदित्य नाथ सरकार ने नियुक्ति के एक महीने के अंदर की सरकारी वकील की सेवा समाप्त

SI News Today

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य नाथ सरकार ने सरकारी वकील विमलेंदु उपाध्याय की सेवा समाप्त कर दी है। यूपी सरकार के विशेष सचिव बृजेश कुमार मिश्र ने एक सरकारी आदेश (जीओ) जारी किया जिसके अनुसार 23 अप्रैल 2017 को विमलेंदु त्रिपाठी को सरकारी वकील नियुक्त करने का आदेश रद्द किया जाता है।  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरखपुर दंगों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते समय विमलेंदु त्रिपाठी को अदालत को “गुमराह” करने के लिए लताड़ लगायी थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस उमेश चंद्र श्रीवास्तव की खंडपीठ ने त्रिपाठी को इस बात के लिए फटकार लगायी थी कि उन्होंने अदालत को चार मई को हुई सुनवाई में ये नहीं बताया कि तीन मई को यूपी के प्रधान सचिव (गृह) गोरखपुर दंगे के मामले में अभियुक्त योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश देने से इनकार कर चुके हैं। अदालत ने चार मई को यूपी के मुख्य सचिव से  पूछा था कि योगी आदित्य नाथ पर मुकदमा चलाने की अनुमति की फाइल क्या सरकार के पास रुकी हुई है?

मामले की 11 मई को हुई सुनवाई के दौरान यूपी के मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि यूपी के प्रधान सचिव (गृह) तीन मई को ही गोरखपुर दंगों से जुड़े मामले में योगी आदित्य नाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर चुके हैं। अदालत ने त्रिपाठी की हरकत को “दुखद और परेशान करने वाला” कहा। त्रिपाठी ने अपने कृत्य के लिए अदालत से मौखिक रूप से माफी मांगी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट सामाजिक कार्यकर्ता परवेज परवाज और वकील असद हयात की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरखपुर जिला अदालत को सीबी-सीआईडी की क्लोजर रिपोर्ट पर कोई भी फैसला देने से रोक दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि जब तक वो मौजूदा याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेता तब तक निचली अदालत कोई निर्णय न सुनाए।  गोरखपुर में जनवरी 2007 में दंगे हुए थे। हाई कोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव से 2007 में गोरखपुर में हुए दंगों से जुड़े 26 मामलों की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

SI News Today

Leave a Reply

Exit mobile version