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102 एंबुलेंस सेवा में पकड़ा गया बड़ा फर्जीवाड़ा

केस-1- फतेहपुर जिले की एंबुलेंस संख्या यूपी-41 जी-3512 ने 11 नवंबर 2016 को सुबह 5:47 बजे जाफराबाद से मरीज को लिया और 5:55 बजे हसवा सीएचसी पर ड्रॉप किया। इसी समय एक दूसरे मरीज को इसी एंबुलेंस से 5:50 बजे तुलसीपुर से लिया गया और उसे 5:55 हथगांव सीएचसी पर ड्रॉप किया गया। एक ही समय में दो अलग-अलग मरीजों को अलग-अलग अस्पतालों में कैसे ड्रॉप किया गया?
केस-2- इलाहाबाद में एंबुलेंस संख्या यूपी 70 एजी-1399 ने 11 नवंबर 2016 को एक ही लोकेशन करछना पीएचसी से 13 अलग-अलग मरीजों को लेकर करछना सीएचसी में ड्रॉप किया। सभी मरीजों में करछना पीएचसी से करछना सीएचसी की दूरी पांच से लेकर 25 किलोमीटर तक हर केस में अलग-अलग दिखाई गई है। जब सभी मरीजों को एक ही लोकेशन से लेकर एक ही लोकेशन पर ड्रॉप किया गया तो यह दूरी अलग-अलग क्यों दिखाई गई?

केस-3-बांदा में एंबुलेंस संख्या यूपी 41 जी-2351 ने 29 नवंबर को एक मरीज को बांदा जिला अस्पताल में 19:20 बजे ड्रॉप किया। इसके बाद यही एंबुलेंस अतर्रा सीएचसी 19:35 पर पहुंच गई। 34 किलोमीटर की दूरी15 मिनट में कैसे तय हो गई। इसके बाद 19:46 बजे मरीज लेकर बांदा पहुंचना भी संदेह उत्पन्न करता है।

ये चंद उदाहरण हैं जो 102 राष्ट्रीय एंबुलेंस सेवा के फर्जीवाड़े को दर्शाते हैं। इस एंबुलेंस सेवा का संचालन भी जीवीके-ईएमआरआई कंपनी कर रही है। कंपनी ने कागजों पर फर्जी ढंग से मरीजों को अस्पताल पहुंचा दिया।

इसका खुलासा नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक आलोक कुमार की रैंडम जांच में हुआ है। लखनऊ सहित करीब 30 जिलों में यह घपला पकड़ में आया है। मिशन निदेशक ने मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं

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