बाइट – गीता रस्तोगी, Social Worker। खुशबू रस्तोगी। ग्रहणी महिला।
Gitanjali Chakki Masala started the initiative to promote women empowerment and indigenization in the Deepawali Hot Program.
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बदलते परिवेश के साथ साथ लोगों के खानपान मैं भी बहुत बदलाव आया है पहले तो लोग खानपान में उपयोग होने वाली वस्तुओं, मसालों को स्वंय देशी उपकरणों की मदद से खाद्ययोग्य बनाते थे और फिर इन वस्तुओं को खाद्य पदार्थ बनाने में प्रयोग करते थे पर बदलते समय और बढ़ती डिमांड के साथ साथ ये खाद्य सामग्री ओधौगिक हो गयी है और पाउच,पैकेट के रूप में बड़े स्तर पर बाजारों में खाद्य पदार्थों को बेचा जा रहा है पर कहि न कही मानव जीवन मे उपयोग होने वाले इन खाद्य पदार्थ की विश्वनीयता व शुद्धता पर हमेशा से सन्देह बना रहता है जिससे इंसान के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है ।
आने वाले दिवाली पर लोगो के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, नारी सशक्तिकरण व स्वदेशी अपनाओ जागरण को लेकर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक एकेडमी में दिवाली के उपलक्ष्य में हुये दीपावली हॉट कार्यक्रम में गीतांजली चकिया मसाला ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने व लोगो को स्वदेशीकरण के उद्देश्य से जागरूक करने के लिये स्टॉल लगाया इस मौके पर लखनऊ की तमाम बड़ी हस्तियों के साथ साथ भारी संख्या में गृहणी महिलाओ ने गीतांजली चक्की मसाला द्वारा लगे स्टाल को विजिट किया तो वहिं इस अभियान के पहल की सरहाना भी की इसी कड़ी मे गीतांजलि मसाला की डायरेक्टर, शोसिएल वर्कर गीता रस्तोगी व कोषाध्यक्ष खुशबू रस्तोगी ने जीवनस्तर को बेहतर बनाने, स्वदेशी खाद्य पदार्थों को अपनाने के साथ ही इनकी विशेषताओं पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
Reported by- खुर्शीद आलम