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बीजेपी, आरएसएस के समानान्तर चल रही हिंदू युवा वाहिनी

यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी (HYV) के बढ़ते कदम से बीजेपी और आरएसएस दोनों परेशान है। आरएसएस के समानान्तर चल रही हिंदू युवा वाहिनी को लेकर संघ ने योगी आदित्य नाथ को कड़ा संदेश दिया है। हाल ही में योगी के संगठनों द्वारा सामने आए मामलों को लेकर आरएसएस चिंतित है। सूत्रों ने हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि माना जा रहा है कि आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व ने हिंदू युवा वाहिनी को लेकर योगी आदित्य नाथ को कड़ा संदेश दिया। पिछले दो महीने में उग्र हिंदू युवा वाहिनी कार्यकर्ताओं का “सांप्रदायिक” घटनाओं में नाम सामने आए। यहां तक विपक्षी पार्टियां भी हिंदुत्व और गौरक्षा के नाम पर भगवा द्वारा लोगों को प्रताड़ित करने की शिकायत कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी और आरएसएस नेताओं ने कहा कि हिंदू युवा वाहिनी जिस तरह की ताकत दिखा रही है उससे वह लोग चिंतित है कि राज्य सरकार की छवि पर इसका क्या असर पड़ेगा। ऐसे समय में जब बीजेपी राज्य में 15 साल बाद आई है और दो साल बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। हिंदू संस्कृति, गौरक्षा और छुआछूत को लेकर साल 2002 युवा वाहिनी की स्थापना की गई। पहले इस संगठन की मौजदूगी गोरखपुर और उसके आस-पास के जिलों तक थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में योगी आदित्य नाथ ने बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशी उतार रहे संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह को हटा दिया था। योगी के सीएम पद की शपथ लेने के बाद राज्य भर में हिंदु युवा वाहिनी का विस्तार करने के लिए राकेश राय को संगठन का नया प्रदेश अध्यक्ष और पीके मल को राज्य संगठन मंत्री बनाया गया था।

आरएसएस की ओर से जताई गई इस चिंता के संबंध में जब मल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है। गौरक्ष पीठ से जुड़ा हिंदू युवा वाहिनी एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है।” पिछले महीने योगी ने आरएसएस कार्यकर्ताओं और हिंदू युवा वाहिनी के लोगों के साथ अलग-अलग मीटिंग की थी। कथित तौर पर योगी ने भगवा का दुरुपयोग न करने की बात कही थी। साथ ही सरकार के कार्यों की निगरानी के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं से कहा कि भगवा धारण करने वाले किसी भी शख्स द्वारा किए गए गलत काम से संगठन और बीजेपी की छवि पर चोंट पहुंचेगी।

सूत्रों के मुताबिक सिर्फ हिंदू युवा वाहिनी के मुद्दे पर ही नहीं बल्कि आरएसएस ने आदित्यनाथ के भाजपा और अन्य आरएसएस सहयोगी संगठनों (जैसे वीएचपी या बजरंग दल) द्वारा कानून को हाथ में नहीं लेने की सलाह पर भी सवाल उठाया। संघ ने इस ओर ध्यान दिलाया कि बड़े पैमाने पर अनुशासनहीनता का संकेत मिल रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि आरएसएस ने इस मुद्दों को लखनऊ के होटल में मुख्यमंत्री के साथ हुई मीटिंग के दौरान उठाया।

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