लखनऊ: विधानसभा में सरकार की ओर से सोमवार को पेश किये गए उत्तर प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, 2017 में यह प्रावधान है कि जीएसटी के तहत यदि कोई व्यापारी पांच करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी करता है तो उसे पांच साल कारावास भुगतने के अलावा जुर्माना अदा करना होगा। यदि जीएसटी कर चोरी की राशि दो करोड़ रुपये से अधिक और पांच करोड़ रुपये से कम होती है तो उसे तीन साल की जेल के अलावा जुर्माना देना होगा। विधेयक के पारित होने पर उप्र ऐसा करने वाला नौवां राज्य होगा।
जीएसटी और सोमवार को इस सिलसिले में पेश किये गए विधेयक के बारे में विधायकों और एमएलसी को जानकारी देने के लिए विधानसभा सचिवालय की ओर से लोक भवन में प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में नई दिल्ली के पीआरएस लेजिस्लेटिव इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी रिसर्च स्टडीज के प्रतिनिधियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जीएसटी का ढांचा दो स्तरीय होगा। इसके तहत किसी भी वस्तु पर राज्य और केंद्र सरकार, दोनों को ही जीएसटी लगाने का अधिकार होगा। विधेयक के अनुसार उप्र किसी भी वस्तु पर 20 फीसद दर तक जीएसटी लगा सकता है।
केंद्र भी 20 प्रतिशत जीएसटी लगा सकता है। इस हिसाब से किसी भी वस्तु पर अधिकतम 40 फीसद की दर तक जीएसटी लगाया जा सकता है। राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर यह सार्वजनिक करेगी कि 20 फीसद की सीमा तक कौन सी वस्तु पर किस दर से जीएसटी लगाया जाएगा। वहीं शराब तथा पेट्रोलियम व पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। पेट्रोलियम व पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की तारीख जीएसटी काउंसिल तय करेगी।
किसी भी व्यापारी या कंपनी का टर्नओवर (कुल बिक्री) 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक होने पर उसे जीएसटी देना होगा। जीएसटी लागू होने पर यदि किसी राज्य को कर राजस्व का नुकसान होता है तो केंद्र सरकार पहले पांच वर्षों तक होने वाले ऐसे नुकसान की राज्य को भरपाई करेगी। इसके लिए केंद्र सरकार वस्तुओं पर अतिरिक्त सेस लगाएगी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति रमेश यादव, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा सहित मंत्रि परिषद के अनेक सदस्य व प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप दुबे भी मौजूद थे।
जीएसटी आर्थिक सुधारों का सबसे बड़ा कदम : योगी
प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीएसटी आजादी के बाद आर्थिक सुधारों के क्षेत्र में सबसे बड़ा कदम है। इसके लागू होने से ‘एक देश-एक टैक्सÓ की अवधारणा साकार होगी। जीएसटी व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में है। इससे अनेक वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी तथा व्यापारियों को भी अपने कर खातों को व्यवस्थित करने में सरलता होगी।
सीधी और सरल हो कर प्रणाली : दीक्षित
वहीं अपने संबोधन में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कर प्रणाली को सीधा और सरल होना चाहिए। महाभारत के शान्तिपर्व में कहा गया है कि जिस प्रकार भौंरा फूल को नुकसान पहुंचाये बिना पराग हासिल करता है, करों की व्यवस्था वैसी ही होनी चाहिए। जीएसटी के पीछे भी यही उद्देश्य है।