केजीएमयू के प्राइवेट वार्ड में इलाज और जांच के नाम पर मरीजों को लूटा जा रहा है। यहां प्राइवेट वार्ड की फीस तो कम कर दी गई लेकिन जांच शुल्क में मरीजों को कोई राहत नहीं दी गई। ऐसे में प्राइवेट वार्ड के मरीजों को जनरल वार्ड की अपेक्षा इलाज दस गुना महंगा पड़ रहा है।
इसके पीछे केजीएमयू प्रशासन, एडवाइजरी बोर्ड, विभागाध्यक्षों और जांच का जिम्मा संभाल रही पीओसीटी कंपनी की मिलीभगत बताई जा रही है। केजीएमयू प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है।
केजीएमयू में पांच तरह के प्राइवेट वार्ड हैं जिनका एक दिन का शुल्क 600 रुपये से लेकर 1500 रुपये है। केजीएमयू प्रशासन ने बीते एक मई को दिखावे के लिए 57 तरह की पैथोलॉजी जांचों में रियायत दी गई।
जबकि सैकड़ों तरह की पैथोलॉजी जांचों और प्रोसीजर केस के रेट में कोई कमी नहीं की गई। प्राइवेट वार्ड की फीस तो कम हो गई है लेकिन जांच फीस में कोई कमी नहीं करने से मरीजों और तीमारदारों को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है।