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प्रेग्नेंट होते ही पत्नी को, बेहोशी में पति छोड़ आया था पागलखाने

लखनऊ. हाल ही में राजधानी में शूट हुई फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’ में यूपी की सदफ़ जाफ़र भी नजर आएंगी। लखनऊ की रहनेवाली सदफ ने पति के टॉर्चर से परेशान होकर 7 साल पहले सुसाइड अटैम्प्ट किया था। डिप्रेशन लंबी लड़ाई के बाद आज वो बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखने को तैयार हैं।

– सदफ बताती हैं, “मैंने करियर की शुरुआत बतौर जर्नलिस्ट की थी। 2001 में मैं एक पॉपुलर नेशनल इंग्लिश डेली के साथ जुड़ी हुई थी। जॉब के दौरान मेरी मुलाकात अजीज से हुई थी। थोड़ी सी दोस्ती के बाद ही उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज कर दिया था।”

– “2002 में मैंने अपने पिता को खो दिया। मां भी बीमार रहती थीं। उसने प्यार दिखाते हुए मुझसे शादी करने की बात कही और मैं मान गई। मां ने पूरे रीति-रिवाज के साथ मेरी शादी करवाई थी।”

– “शादी के कुछ दिन बाद ही मैंने उसे गुड न्यूज दे दी, लेकिन वो खुश होने की जगह भड़क गया। प्रेग्नेंट होने की बात सुनकर वो मुझसे आए दिन झगड़े करने लगा। वो मुझसे कहता था कि यहां रहना है तो अपनी मां के घर से पैसे लेकर आओ। मुझे खर्चे के लिए तक पैसे नहीं देता था। वो मुझे हर बात पर टोकता था, जॉब भी छुड़वा दी और फिर मारपीट भी रोज की बात हो गई।”

– सदफ ने 2003 में अपनी बेटी को जन्म दिया था, जो कि आज 14 साल की है और 8वीं क्लास की स्टूडेंट है।

बेहोशी की हालत में पति छोड़ गया था पागलखाने
– सदफ बताती हैं कि उनकी मां उन्हें सपोर्ट तो करती थीं, लेकिन चाहती थीं कि वो शादी निभाती रहें। इन्होंने बताया, “मां को समाज का डर था, लोग क्या कहेंगे? मेरे पास कोई रास्ता नहीं था। 2009 में बेटा पैदा होने के बाद शौहर का टॉर्चर बढ़ता चला गया। वो मुझे आत्महत्या करने को कहता था, बोलता था- पंखे से लटक जाओ या किसी गाड़ी के नीचे आ जाओ।”

– “मैं रोज-रोज के तानों से उकता गई थी। 1 जून 2010 को मैंने फेसबुक पर सुसाइड नोट पोस्ट किया और जहर खा लिया। मेरी हालत देखकर भी मेरे पति को तरस नहीं आया। मेरी बॉडी नीली पड़ गई थी, इसके बावजूद वो मुझे हॉस्पिटल ले जाने की जगह मेंटल असाइलम छोड़ गया।

– “जहर खाने के 4-5 घंटे बाद मुझे होश आया तो मैंने उसे कॉल किया, वो बोला- कमरे में कोई पंखा है? उससे लटक जा। उसके बाद मैंने उससे कभी बात नहीं की। मैंने सोच लिया था कि जिंदगी को अकेले बेहतरीन ढंग से जी कर दिखाऊंगी।”

– पागलखाने से बाहर कैसे आईं, इस पर सदफ ने बताया, “मेरे फेसबुक पोस्ट को पढ़कर मेरे भाई ने मेरा पता लगाया और मुझे तीन दिन बाद असाइलम से छुड़ा ले गया। इस दौरान मेरे बच्चे पति के ही पास थे। मैं उन्हें लेकर भाई के घर आ गई। भाई ने बीएड करने की सलाह दी और मैं टीचिंग प्रोफेशन में आ गई। तब मेरे अकाउंट में कुल 36 रुपए थे, मैंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर जिंदगी को नए सिरे से शुरू किया।”

डर के मारे किया क्रिएटिव डायरेक्टर को ब्लॉक
– प्रेजेंट में सदफ लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में टीचर हैं। एक्टिंग में कैसे आईं इस पर उन्होंने बताया, “3 साल पहले मैं ‘द मॉकिंग बर्ड’ थिएटर ग्रुप से जुड़ी। इसी ग्रुप के थ्रू मुझे ‘लखनऊ सेंट्रल’ में एक्टिंग का मौका मिला।”

– “6 महीने पहले अनजान व्यक्ति ने मुझसे मैसेंजर पर कॉन्टेक्ट किया। पहले तो मैं डर गई और उसे ब्लॉक कर दिया। फिर उसने मेरे ग्रुप डायरेक्टर को बताया- सदफ जी मेरा फ़ोन नहीं उठा रहीं, मुझे ब्लॉक कर दिया है। मैं उन्हें फरहान अख्तर अभिनीत फिल्म के ऑडिशन के लिए बुला रहा था। डायरेक्टर के थ्रू मुझे पता चला कि वो कास्टिंग डायरेक्टर थे। उन्होंने मेरा वीडियो देखकर मुझे रोल दिया, ऑडिशन नहीं लिया।”

– सदफ को सीधे फिल्म के सेट पर बुलाया गया। वो कहती हैं, “सेट पर मैं फरहान से मिली तो लगा जिंदगी बिगड़ते-बिगड़ते संवर गई।

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