लखनऊ: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को छत उपलब्ध कराने की योजना भले ही केंद्र की है लेकिन प्रदेश सरकार सबसे बेहतर माडल प्रस्तुत करेगी। इसके लिए कई राज्यों में इस योजना का अध्ययन कराया जाएगा। वहां से मिले फीडबैक के आधार पर प्रदेश अपना माडल तैयार करेगा जिससे आर्थिक रूप से कमजोरों को सबसे सस्ता और शानदार घर मिल सके। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की चार टीमें गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश व आंध्रप्रदेश जाकर वहां इस योजना का अध्ययन करेंगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सूबे की ढाई माह पुरानी योगी सरकार चाहती है कि राज्य में कोई भी गरीब बिना ‘छत के न रहे। शहरी क्षेत्र में सड़क किनारे या इधर-उधर झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वालों का छोटा ही सही लेकिन अपना पक्का आशियाना हो। चूंकि जिनके पास सही से खाने के लिए पैसे तक नहीं है उनके लिए घर खरीदने को पैसा जुटाना आसान नहीं है इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि ऐसे परिवारों को कम से कम कीमत पर अच्छे आवास मुहैया कराए जाएं।
विदित हो कि वर्ष 2022 तक सभी को किफायती आवास मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना, उत्तर प्रदेश को छोड़कर देश के अन्य राज्यों में वर्ष 2015 से ही लागू है इसलिए योगी सरकार ने योजना के अब यहां क्रियान्वयन से पहले गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश व आंध्रप्रदेश में चल रही योजना के माडल का अध्ययन करने के लिए मुख्य अभियंताओं की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय चार टीमें गठित की हैं। टीम के साथ निजी विकासकर्ताओं को भी रखा गया है। सभी टीमों को एक सप्ताह में अध्ययन रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन मुकुल सिंहल ने बताया कि दूसरे राज्यों में लागू बेहतर व्यवस्था को शामिल करते हुए यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तेजी से किफायती आवासों का निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा। इस तरह अध्ययन कराने के पीछे मकसद यही है कि जरूरतमंदों को न्यूनतम कीमत पर अच्छे आवास मिल सकें। विदित हो कि योजना के तहत लिए केंद्र सरकार जहां प्रति आवास 1.50 लाख रुपये देती है वहीं राज्य सरकार को भी एक लाख रुपये बतौर अनुदान लगाना होता है।
टीम जुटाएगी इन बिंदुओं पर ब्योरा
एलडीए के मुख्य अभियंता ओपी मिश्रा के नेतृत्व में टीम जहां आंध्र प्रदेश जाएगी वहीं निदेशक आवास बंधु एसके श्रीवास्तव मध्यप्रदेश, निदेशक विकास आवास बंधु संजीव सिन्हा राजस्थान तथा मुख्य अभियंता आवास विकास परिषद मो. सलीम अहमद के नेतृत्व वाली टीम गुजरात जाएगी। प्रत्येक टीम को किफायती आवास मुहैया कराने संबंधी योजना से जुड़े डेढ़ दर्जन से अधिक बिंदुओं पर ब्योरा जुटाना होगा। उन्हें पता करना होगा कि वहां योजना के भवन का कुल कितना कारपेट-बिल्टअप एरिया है। भवन की लागत, भूमि कैसी है और उसका स्वामित्व किसका है। राज्य सरकार की वित्तीय सहभागिता, लाभार्थी का अंशदान, निजी विकासकर्ताओं की भागीदारी होने पर उसे क्या इंसेंटिव दिया जा रहा है? आवंटियों को बिना आइटी रिटर्न के ऋण की क्या और कैसे सुविधा दी जा रही है और संपत्ति को फिर बेचने की क्या शर्तें रखी गईं हैं? वाह्यï विकास के कार्यों को कैसे कराया जा रहा है?
बसपा सरकार ने दिए थे मुफ्त आवास
वर्ष 2008 में तत्कालीन बसपा सरकार की मुखिया मायावती ने पार्टी के संस्थापक कांशीराम के नाम से श्री कांशीराम जी शहरी गरीब आवास योजना शुरू की थी। योजना के तहत गरीबों को चरणबद्ध तरीके से तकरीबन एक लाख मुफ्त आवास मुहैया कराए गए थे। मार्च 2012 में सपा सरकार बनने पर 28 मई 2012 को संबंधित योजना को बंद कर दिया गया था। सपा सरकार ने समाजवादी आवास योजना लागू की थी लेकिन उसके तहत मुफ्त आवास देने की व्यवस्था नहीं थी।