लखनऊ.यूपी में निकाय चुनावों का नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू होते ही पार्टियों में टिकट के लिए दौड़ और तेज हो गई है। भाजपा में मंत्री, बसपा-सपा में पूर्व मंत्री, कांग्रेस में संगठन में पदाधिकारी पति अपनी पत्नियों को उपहार स्वरूप मेयर की कुर्सी देना चाहते हैं। पत्नियों के सहारे ही वो राजनीति को चमकाने में लगे हैं। इसके पीछे का बड़ा कारण ये है कि इस बार लखनऊ में मेयर की सीट पर महिला के लिए आरक्षित कर दी गई है।
पत्नियों के नाम पर राजनीति चमकाने में जुटे नेता
– पत्नियों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने का क्रेज पिछले 10 सालों में कुछ ज्यादा ही बढ़ा है। नेता पूरे 5 सालों तक चुनावी तैयारी करते हैं।
– कभी किसी सीट पर जब आरक्षण की वजह से गणित बदल जाता है तो ऐसे में नेता का खून-पसीना और पैसा तीनों व्यर्थ जाता दिखाई देता है। ऐसे में एक ऑप्शन बचता है कि यदि आरक्षण में महिला सीट है। क्योंकि वो नेता जानता है सीट पर पत्नी बैठेगी फिर भी सरकार वो ही चलाएगा। आखिरकार नेता जी ने पैसा पसीना और समय दोनों खर्च किया है।
भाजपा में डिप्टी सीएम-कैबिनेट मंत्री
– लखनऊ मेयर पद पर पिछले 15 सालों से भाजपा का ही कब्जा रहा है। जिसमें अटल बिहारी वाजपेई ने खुद 2 मेयरों का प्रचार किया था। पहले डॉ. एससी शर्मा और दूसरे वर्तमान डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा रहे।
– इस बार भाजपा की सरकार बनने के बाद मेयर रहे दिनेश शर्मा को प्रमोट करके पार्टी ने डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी दी है। अब लगातार 2 बार मेयर रहे दिनेश शर्मा अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं।
– हालांकि, मीडिया के सामने एक बार वो कह चुके हैं कि उनकी पत्नी मेयर रेस में नहीं, लेकिन पार्टी की लखनऊ के टिकटों की बैठक में मेयर पद की चर्चा को लगातार टालने से स्थिति साफ नजर आ रही है। यही कारण है कि डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा अपनी पत्नी के नाम पर कोई डिबेट नहीं करना चाहते हैं।
– इसके अलावा कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक भी अपनी पत्नी को मेयर पद पर काबिज कराना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव 2017 में बृजेश पाठक की पत्नी भी क्षेत्र में उतनी ही एक्टिव रहीं, जितने की वो। इसको लेकर फील्ड भी तैयार ह, बस देरी टिकट मिलने की है। केंद्रीय गृहमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे तक से बात करने की चर्चा है।
कांग्रेस में भी पत्नियों की लाइन, लेकिन उम्मीदें कम, बेटी हावी
– कांग्रेस में भी अपनी पत्नी के मेयर प्रत्याशी के रूप में चुनावों में उतारने की होड़ लगी हुई है। इसमें पूर्व प्रवक्ता और मनरेगा योजना के यूपी चेयरमैन रहे संजय दीक्षित अपनी पत्नी को मेयर का टिकट दिलााना चाहते हैं।
– इनके अलावा अनुशासनहीनता के आरोप में कमेटी के सामने पेश हो चुके शैलेश दीक्षित जोकि जिला उपाध्यक्ष हैं। वो भी अपनी पत्नी को मेयर पद पर पहुंचाना चाहते हैं।
– वहीं, कांग्रेस राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने भी अपनी विधायक बेटी अराधना मिश्रा के लिए मेयर के टिकट की डिमांड की है।
सपा में पूर्व मंत्री और नगर अध्यक्ष की पत्नियों की रेस
– सपा में अखिलेश यादव के करीबी रहे पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा अपनी पत्नी को मेयर पद के लिए कैंडिडेट बनाना चाहते हैं। इसके लिए कई दौर में वो खुद प्रदेश नरेश उत्तम पटेल से बात कर चुके हैं।
फिलहाल फाइनल नहीं किया गया है।
– सपा में लखनऊ नगर अध्यक्ष साकेत पाठक भी अपनी पत्नी के लिए मेयर का टिकट मांग रहे हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री जूही सिंह ने भी सपा की ओर से दावेदारी की है।
बसपा में पूर्व मंत्री और दामाद के बीच जंग
– लखनऊ मेयर के लिए बसपा में पूर्व मंत्री नकुल दुबे अपनी पत्नी के टिकट की डिमांड कर रहे हैं।
– बसपा में मंडल कोऑर्डिनेटर और मीडिया प्रभारी परेश मिश्रा भी अपनी पत्नी को मेयर के तौर पर चुनावों में इंट्री कराना चाहते हैं।