लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बनी बीजेपी सरकार अपना पहला बजट विधानसभा में पेश करेगी। विधानसभा का बजट सत्र 28 जुलाई तक चलेगा और सत्र के पहले ही दिन आज बजट पेश किया जाएगा।
3.6 लाख करोड़ का हो सकता है बजट: अनुमान लगाया जा रहा है कि योगी सरकार का बजट 3.6 लाख करोड़ रुपये का होगा। बजट में लघु और सीमांत किसानों की कर्ज माफी की राशि भी शामिल होगी। सूत्रों के मुताबिक, दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती वर्ष में योगी सरकार उनके नाम से कई योजनाएं भी शुरू करना चाहती है। बजट सत्र में पंचायतीराज अधिनियम संशोधन समेत कई विधेयक भी लाए जा सकते हैं।
28 जुलाई तक चलेगा सत्र: विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के अनुसार 17वीं विधानसभा का प्रथम सत्र आज से शुरू होकर 19 मई तक चला था। अब दूसरा सत्र 11 जुलाई से 28 जुलाई तक चलेगा।
विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन योगी सरकार अपना पहला बजट प्रस्तुत करेगी। दोपहर 12.20 बजे विधानसभा में वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल तो विधान परिषद में नेता सदन व उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा बजट पेश करेंगे। बजट का आकार लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है। किसानों के फसली ऋण की माफी और राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक तनख्वाह बांटने की दोहरी चुनौती से मुकाबिल यह बजट जनअपेक्षाओं पर कितना खरा उतरता है, इस पर नजरें लगी होंगी।
कर्जमाफी के सबसे बड़े चुनावी एलान को पहले बजट के जरिये अमली जामा पहनाने का संकेत दे चुकी सरकार अपने बजट पिटारे में लोक कल्याण संकल्प पत्र के दूसरे वादों को कितनी जगह दे पाती है, निगाहें इस पर भी होंगी।
पूरी होंगी किसानों की हसरतें
बजट की ओर उम्मीद भरी निगाहें लगाये प्रदेश के 86 लाख से ज्यादा लघु व सीमांत किसानों को योगी सरकार बजट में कर्जमाफी का एलान कर बड़ी राहत देने जा रही है। सरकारी विभागों के अधीन कार्यदायी संस्थाओं को विभिन्न परियोजनाओं के लिए वित्तीय संस्थाओं से कर्ज दिलाने और सड़क परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार से संसाधनों का बंदोबस्त कर योगी सरकार किसान को राहत देने का इंतजाम करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है।
उतरेगा समाजवाद का चोला
पिछले पांच वर्षों के दौरान बजट पर चढ़ा समाजवाद का मुलम्मा भाजपा सरकार के पहले बजट में उतरेगा। समाजवादी और समाजवाद के पुरोधाओं के नाम पर संचालित परियोजनाओं की बजट से विदाई तय हैै। अखिलेश सरकार की फ्लैगशिप स्कीम समाजवादी पेंशन योजना समेत कई योजनाओं पर पर्दा गिराने की तैयारी है। कई समाजवादी योजनाओं का नया नामकरण हो सकता है, उन्हें नए स्वरूप में पेश किया जा सकता है।
दीनदयाल की छाप
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशती वर्ष में उनकी स्मृति में संचालित की जाने वाली कई नई योजनाओं का एलान भी बजट में होगा। मथुरा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पैतृक गांव नगला चंद्रभान को पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने के लिए बजट में धनराशि का इंतजाम होगा।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर मॉडल स्कूल योजना, आदर्श नगर पंचायत योजना, हथकरघा प्रोत्साहन योजना के एलान के साथ विश्वविद्यालयों में शोधपीठ की स्थापना के लिए रकम का इंतजाम होगा। केंद्रीय योजनाओं की तर्ज पर संचालित राज्य सेकटर की कई योजनाओं पर पर्दा गिराया जाएगा। कुछ केंद्रीय योजनाओं का नामकरण भी पंडित दीनदयाल के नाम पर हो सकता है।
नई पहल भी
नवजवानों में उद्यमिता जगाने के लिए बजट में मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना और असंगठित क्षेत्र के कामगारों/दस्तकारों के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना चालू की जा सकती है। महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर महिला पुलिस बटालियन और स्कूली बच्चों के लिए किताबें व यूनिफॉर्म के साथ बैग व जूते-मोजे का भी इंतजाम होगा। तालाब विकास प्राधिकरण के लिए भी बजट प्रावधान किया जा सकता है।
बुनियादी ढांचे पर होगा जोर
बजट में सरकार गांव-गिरांव की तरक्की के साथ शहरों में नागरिक सुविधाएं बढ़ाने पर जोर देगी। सिंचाई के साथ सड़कों के नेटवर्क को बढ़ाने देने के साथ सूबे में एक्सप्रेस-वे परियोजना को विस्तार देने पर जोर होगा। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे परियोजना को आगे बढ़ाने के साथ वाराणसी और झांसी को एक्सप्रेसवे से जोडऩे का इंतजाम होगा। लखनऊ के अलावा कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, मेरठ में मेट्रो रेल परियोजना के लिए बजट आवंटन हो सकता है।
योजनाओं के लिए राशि की घोषणा
यूपी की सत्ता संभालने से पहले बीजेपी ने राज्य में कई योजनाएं लागू करने का वादा किया था, जिनमें कर्ज माफी एक बड़ा मुद्दा था। कर्ज माफी की सौगात देकर योगी सरकार अपने वादे पर खरी उतरी है। यूपी में बिजली, सड़क, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में भी कई सरकारी योजनाओं को शुरू किया गया है। बजट में ऐसी कई योजनाओं के लिए राशि की घोषणा की जा सकती है।
छह साल बाद बजट पेश करेंगे वित्त मंत्री
वर्ष 2011 के बाद यह पहला मौका होगा जब विधानसभा में वित्त मंत्री बजट पेश करेंगे। समाजवादी सरकार में वित्त विभाग मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अधीन था। वित्त मंत्री की हैसियत से बजट वहीं पेश करते थे।