समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता नरेश अग्रवाल को पार्टी बदलने के लिए जाना जाता है। वह अपने राजनीतिक करियर में खुद की पार्टी बनाने के साथ ही सभी प्रमुख पार्टियों में रह चुके हैं। सपा की ओर से राज्यसभा का टिकट न मिलने से नाराज नरेश अग्रवाल ने 12 मार्च को बीजेपी का दामन थाम लिया था। इस फैसले को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। नरेश अग्रवाल द्वारा जया बच्चन को लेकर दिए गए बयान के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व निशाने पर आ गया था लेकिन राज्यसभा चुनाव में अमित शाह का यह फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों में से नौ पर भाजपा और एक पर सपा उम्मीदवार की जीत हुई। 10वीं सीट पर मामला काफी देर तक अटका रहा। दसवीं सीट के लिए एक-एक विधायक का वोट महत्वपूर्ण हो गया था। दोनों तरफ से क्रॉस वोटिंग का खेल भी हुआ मगर बाजी भाजपा के अनिल अग्रवाल ने मारी। दूसरी वरीयता के वोटों से उनकी जीत हुई।
बता दें कि नरेश अग्रवाल के बेटे और सपा विधायक नितिन अग्रवाल ने भाजपा के पक्ष में वोट किया। इससे भाजपा को एक वोट का फायदा तो हुआ ही, सपा को एक वोट का नुकसान भी हुआ। बसपा के भी विधायक अनिल कुमार सिंह ने भाजपा के पक्ष में वोट किया। ऐसे में नरेश अग्रवाल के पाला बदलने से बीजेपी बसपा को बैकफुट पर धकेलने में कामयाब रही। साथ ही सपा-बसपा की दोस्ती की हवा भी निकालने में सफल रही। गठबंधन के भरोसे बसपा के एकमात्र प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर संसद पहुंचने की राह देख रहे थे लेकिन प्रथम वरीयता के 33 वोट हासिल करने के बाद भी उनका हाथी बीच रास्ते मे ही अटक गया। 25 साल के पुराने गिले-शिकवे को भुलाकर की गई सपा-बसपा की दोस्ती पर राज्यसभा चुनाव का क्या असर पड़ेगा, इसकी भी चर्चा सियासी गलियारों में तेज हो गई है।
सपा ने हाल में ही संपन्न लोकसभा उपचुनावों में बसपा के साथ गठजोड़ किया था। इसके बाद अखिलेश के नेतृत्व वाली पार्टी ने बसपा प्रत्याशी का समर्थन करने की बात कही थी। भीमराव अंबेडकर के हारने पर कहा जा रहा है कि अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर मिली हार का बदला ले लिया है। मालूम हो कि नरेश अग्रवाल को भाजपा में शामिल करने को लेकर पार्टी के अंदर से ही कई लोगों ने विरोध किया था। इसके अलावा पार्टी समर्थकों में भी इसको लेकर नाराजगी थी। नरेश अग्रवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ भी विवादास्पद टिप्पणी करते रहे हैं लेकिन, माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की नौवीं सीट जीतने के बाद नरेश अग्रवाल को लेकर जारी आलोचनाओं का दौर थम सकता है।