अब जबकि देश का बजट पेश हो चुका है और आप अभी भी अपनी फिल्म के बजट की टेंशन में हैं तो हम आपको आपके ‘बजट’ का इंतज़ाम करने का फॉर्मूला बता रहे हैं. दरअसल भारत में फिल्ममेकिंग कभी भी सस्ता सौदा नहीं रहा है, लेकिन बावजूद इसके सरकार की कुछ ऐसी पॉलिसी हैं जिसका फायदा ‘जानकार’ फिल्ममेकर्स उठा रहे हैं. भारत के कई राज्य अपने टूरिस्ट स्पॉट के साथ ही राज्य के प्रमोशन के लिए फिल्म मेकर्स को भारी भरकम सब्सिडी दे रहे हैं.
फिल्ममेकर्स को अपने स्टेट में शूटिंग करने के लिए लुभा रहे कई ऐसे भी राज्य हैं जो कम बजट की फिल्में मसलन ‘मसान’, ‘न्यूटन’, ‘कड़वी हवा’, ‘तलवार’, ‘खोसला का घोसला’, ‘उड़ान’, ‘फंस गए रे ओबामा’ और ‘आंखो देखी’ जैसी चर्चित फिल्मों के टोटल बजट से भी कई ज्यादा सब्सिडी देते हैं. ये सब्सिडी अलग-अलग कैटेगरी और फिल्म की स्क्रिप्ट के आधार पर तय की जाती है. इनमें कई राज्य तो ऐसे हैं जो इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स की पहली पसंद बनते जा रहे हैं.
इसलिए फिल्ममेकर्स की पहली पसंद बना उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार फिल्ममेकर्स को सब्सिडी देने के मामले में नंबर वन पर है. इसी के चलते यूपी बड़े प्रोडक्शन हॉउस और स्वतंत्र फिल्मकारों की पहली पसंद बनता जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार 2 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी यूपी में शूट होने वाली फिल्मों को देती है. इसके अलावा यदि कोई फिल्मकार यूपी में ही अपनी फिल्मों को शूट करता है तो उसे सरकार 3 करोड़ 75 लाख तक की सब्सिडी ऑफर करती है.
इसके अलावा यूपी सरकार राज्य के कलाकारों को फिल्म में लेने पर 25 से 50 लाख रूपए तक की अतिरिक्त सब्सिडी भी देती है. फिल्ममेकर्स के लिए यूपी सरकार की दरियादिली यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि राज्य के किसी भी टूरिस्ट स्पॉट या फिर राज्य की पॉजिटिव ब्रांंडिग करने पर 5 लाख रूपए तक अतिरिक्त पैसा भी दिया जाता है.
रीजनल सिनेमा को भी प्रमोट कर रही यूपी सरकार
यूपी सरकार अपने यहां रीजनल सिनेमा जैसे अवधी, बुन्देली, ब्रज और भेजपुरी को प्रमोट करने के लिए भी सब्सिडी देती है. इसके अलावा क्षेत्रीय फिल्मों को प्रमोट करने के लिए सरकार 2 हफ्ते की स्क्रीनिंग की गारंटी भी फिल्ममेकर्स को देती है.
यूपी से आगे झारखंड सरकार
झारखंड सरकार ने भी पिछले कुछ वर्षों में अपने राज्य की ब्रांडिग करने और फिल्ममेकर्स को लुभाने के लिए राज्य की फिल्म पॉलिसी में सुधार किया है. झारखंड सरकार मौजूदा समय में झारखंड में शूट होने वाली फिल्मों को 3 करोड़ रूपए तक की सब्सिडी दे रही है. इसके अलावा स्थानीय भाषा में बनने वाली या फिर हिंदी फिल्मों के टोटल बजट का 50 फीसदी तक खर्च सरकार वहन कर रही है. हालांकि, ऐसा फिल्म के ज्यादातर हिस्से को झारखंड में ही शूट करने पर होता है.
फिल्मों का गढ़ महाराष्ट्र भी दे रहा ये आॅफर
महाराष्ट्र सरकार मराठी फिल्मों को 100 फीसदी एंटरटेंनमेंट टैक्स में छूट देती है. साथ ही 15 लाख रूपए से लेकर 40 लाख रूपए तक भी मराठी फिल्म प्रोड्यूसर्स को सरकार पैसा देती है. ये प्रोड्यूसर्स के द्वारा फिल्म के लिए उपयोग में लाए गए सरकार के संसाधनों पर भी निर्भर करता है. सरकार हर साल ऐसे 5 प्रोड्यूसर्स का ही चुनाव करती है और इसमें स्क्रिप्ट महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. सब्सिडी के अलावा स्क्ल्डि वर्कफोर्स भी महाराष्ट्र को फिल्ममेकर्स के लिए लोकप्रिय डेस्टीनेशन बनाती है.
ये राज्य भी देते हैं फिल्ममेकर्स को आॅफर
उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड की ही तरह केरल, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, गोवा, पंजाब और गुजरात जेसे राज्य भी फिल्ममेकर्स को लुभाने के लिए कई तरह के टैक्सेस में छूट के साथ ही सब्सिडी भी उपलब्ध करवाती है. केरल स्टेट फिल्म डेवलपमेंट बोर्ड फीचर फिल्म और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की श्रेणी में ये सब्सिडी मुहैया करवाती है. केरल सरकार सामान्य तौर पर 37 हजार से लेकर एक लाख 87 हजार 5 सौ रूपए तक की सब्सिडी अपने राज्य में शूट होने वाली फिल्मों को देती है, लेकिन यदि कोई फिल्म स्टेट फिल्म अवॉर्ड में जगह बना लेती है तो ये सब्सिडी 6 लाख रूपए तक की हो जाती है. इसके अलावा नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीतने वाली फिल्मों को 2 लाख रूपए तक की सब्सिडी केरल सरकार देती है.
ऐसे ही आन्ध्र प्रदेश सरकार राज्य में बनने वाली फिल्मों को 10 से 12 फीसदी तक एंटरटेंनमेंट टैक्स पर छूट देती है. इसके अलावा आन्ध्र प्रदेश सरकार राज्य में शूट होने वाली 6 फिल्मों को सालभर में 10 लाख रूपए तक की सब्सिडी देती है.
तमिल फिल्मों को 7 लाख, कर्नाटक देता है केवल 50 हजार
तमिलनाडु सरकार की पॉलिसी इस मामले में थोड़ा अलग है. दरअसल तमिलनाडु सरकार उन फिल्मों को ही सब्सिडी देती है जो तमिल भाषा के नाम के साथ रिलीज होती है. ऐसी फिल्मों को सरकार 7 लाख रूपए तक की सब्सिडी देती है. ऐसे में हिंदी या अन्य भाषाओं के फिल्ममेकर्स इस पॉलिसी का लाभ नहीं उठा सकते. कर्नाटक सरकार तमिलनाडु सरकार से इस मामले में दो कदम और आगे निकल गई है और केवल 50 हजार रूपए की सब्सिडी ही फिल्ममेकर्स को उपलब्ध करवाती है. ये भी तब संभव होता है जब आपने अपनी 90 फीसदी फिल्म को कर्नाटक की लोकेशंस पर ही शूट किया हो.
गोवा देता है 50 प्रतिशत सब्सिडी या 20 लाख रूपए
गोवा सरकार कोंकणी, मराठी, हिंदी और इंग्लिश फिल्मों को राज्य में फिल्माने पर फिल्ममेकर्स को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी या फिर 20 लाख रूपए की मदद करती है. हालांकि यह आॅफर उन फिल्मेमेकर्स के लिए ही है जो गोवा का स्थानीय निवासी हो या फिर 15 सालों से राज्य में रह रहा हो. असम इस मामले में फिल्ममेकर्स को ज्यादा लुभा रहा है और 1 करोड़ रुपए तक के इंसेंटिव राज्य में फिल्म को शूट करने पर फिल्ममेकर्स को देता है.
दिलदार है पंजाब
फिल्ममेकर्स के लिए पंजाब सरकार जयादा दिलदार है. पंजाब सरकार फिल्म के छोटे से हिस्से को भी पंजाब में शूट करने पर एंटरटेनमेंट टैक्स में 75 फीसदी तक छूट देती है. इसके अलावा 50 हजार रूपए तक की सब्सिडी भी सरकार देती है.
इसी तरह गुजरात सरकार फिल्ममेकर्स को 5 से 50 लाख रूपए तक की सब्सिडी देती है, जबकि गुजराती फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रोड्यूसर्स की 50 लाख रूपए तक की आर्थिक मदद करती है.
बहरहाल इस लिहाज से देखें तो झारखंड और उत्तर प्रदेश आपकी फिल्ममेकिंग की इच्छा को पूरी कर सकते हैं, बशर्ते आपके पास इन राज्यों को बेस में रखते हुए मजबूत स्क्रिप्ट के साथ ही सरकारी महकमों से ‘जूझने’ की इच्छाशक्ति भी हो!