लखनऊ: यूपी की राजधानी के प्राइवेट स्कूल में टीचर धीरज मेहरोत्रा गूगल पर 150 से ज्यादा एजुकेशनल ऐप्स बना चुके हैं। कभी महज 500 रुपए की नौकरी करने वाले धीरज को हाल ही में इस उपलब्धि के लिए आईटी इनोवेशन एंड एक्सिलेंस अवॉर्ड- 2017 से सम्मानित किया गया। खास बातचीत में उन्होंने अपनी सक्सेस स्टोरी शेयर की।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है नाम
– धीरज प्रेजेंट में टीचर ट्रेनिंग के प्रोग्राम्स गाइड करते हैं। उनके ऐप्स बच्चों को बेहतर एजुकेशन और क्लासरूम में बेहतर माहौल बनाने में कारगर हैं।
– धीरज को 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बेस्ट टीचर का नेशनल अवॉर्ड दिया। कलाम ने इनकी काफी सराहना की थी।
– धीरज बताते हैं, “मेरा इंटरेस्ट शुरू से ही कम्प्यूटर साइंस में रहा। मैं इसके जरिए ऐसी चीजों को सर्च करता रहता था, जिससे स्टूडेंट्स को फायदा हो। मैं आईसीएसई, आईएससी और सीबीएसई बोर्ड्स के लिए कम्प्यूटर साइंस को सिंपल तरीके से एक्सप्लेन करने वाली 45+ बुक्स लिख चुका हूं। मॉडर्न टाइम में बच्चे ऐप्स पर ज्यादा निर्भर करते हैं। इसलिए अब मैंने अपने टीचिंग मेथड्स ऐप्स के जरिए लॉन्च किए हैं।”
– 21 अगस्त 2016 को उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ।
– 9 जुलाई 2016 को उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से सम्मानित किया गया।
कभी करते थे 500 रुपए की नौकरी
– धीरज मूलतः इलाहाबाद के रहने वाले हैं। इनके पिता बैंककर्मी थे।
– इनकी शुरुआती एजुकेशन इलाहाबाद के क्रिश्चियन कॉलेज से हुई। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इन्होंने पीजी कम्प्लीट की।
– धीरज बताते हैं, “पीजी होने के बाद मैंने सरकारी नौकरी के कई फॉर्म भरे, लेकिन कहीं सिलेक्ट नहीं हो सका। हार कर मैंने टीचिंग लाइन में जाने का डिसीजन लिया। 1990 में इलाहाबाद के बिशप जॉनसन स्कूल में जॉब मिली, जहां सैलरी 500 रुपए थी। दो साल वहां जॉब के बाद मैं ब्वॉयज हाईस्कूल इलाहाबाद में पढ़ाने लगा, जहां कभी मैं खुद स्टूडेंट था।”
– 1996 में धीरज इलाहाबाद से लखनऊ आए और यहां सीएमएस स्कूल, कानपुर रोड ज्वाइन किया। 2010 में इन्होंने जॉब छोड़कर ई-लर्निंग संस्था से जुड़े हुए हैं, जिसके साथ मिलकर ये ऐप्स तैयार करते हैं।
– धीरज बताते हैं, “मेरे काम को देखने के बाद मेरे पास कई बार सरकारी स्कूलों से जॉब के ऑफर आए, लेकिन मैं उनसे नहीं जुड़ा। अब मुझे इसी काम में आनंद आ रहा है।”
गूगल पर बनाए 150+ ऐप्स
– धीरज ने क्वालिटी एजुकेशन के लिए 150 से अधिक गूगल ऐप्स बनाए हैं। इन्हें गूगल प्ले स्टोर से निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है।
– वे बताते हैं, “मैंने स्टूडेंट और टीचर के बीच जो भावनात्मक रिश्ता होता है उसे अच्छे से रीड किया है। क्वालिटी एजुकेशन के लिए मैंने Wow classrooms जैसे ऐप्स बनाए हैं। इस पर्टिकुलर ऐप में डिफरेंट सेक्शन्स में बताया गया है कि कैसे स्टूडेंट्स के लिए क्लासरूम को इंटरेस्टिंग बनाया जा सकता है। इसके अलावा स्कूल मैनेजमेंट स्ट्रैटजी, सोर्स कोड फॉर आईसीएससी, वेब टीचिंग आइडिया ऐसे कई ऐप्स लॉन्च किए हैं।”