एक नई पुस्तक में कहा गया है कि आज के समय में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के आका किसी भी कीमत पर भारत की परमाणु क्षमताओं की बराबरी करना चाहते हैं. इस पुस्तक में पाकिस्तान द्वारा परमाणु हथियारों को हासिल करने तथा इससे जुड़े मुद्दों पर गंभीरता से गौर किया गया है. ‘पाकिस्तान न्यूक्लियर बम: ए स्टोरी आफ डिफाइन्स, डिटरेंस एंड डेविएन्स’ नाम की पुस्तक में शिक्षाविद हसन अब्बास ने उन नेताओं और वैज्ञानिकों का जिक्र किया, जो पाकिस्तान के परमाणु बम के विकास में शामिल थे. इसमें पाकिस्तान के परमाणु आधारभूत ढांचे का समर्थन करने में चीन तथा सऊदी अरब की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया.
पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान की संलिप्तता
पुस्तक में ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया में परमाणु प्रसार में पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिक एक्यू खान की संलिप्तता को भी बताया गया. इसमें पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण आधारभूत ढांचे तथा परमाणु संपदा को तालिबान तथा अन्य चरमपंथी समूहों द्वारा पैदा खतरे के आलोक में इस देश की परमाणु सुरक्षा के पहलू पर भी गौर किया गया है. अब्बास लिखते हैं कि चाहे परमाणु आपूर्ति समूह में शामिल होने की संभावना की बात हो या असैन्य परमाणु उद्देश्यों के लिए लाभदायक पश्चिमी तकनीक तक पहुंच हासिल करने की, पाकिस्तान का मानना है कि उसके साथ भारत की तुलना में अनुचित व्यवहार हुआ है.