चक्रवाती तूफान मोरा मंगलवार को बांग्लादेश की समुद्र तट तक पहुंच गया है। बांग्लादेश में भयानक तूफान के कारण हर साल कई लोग विस्थापित होते हैं। पिछले साल मई में भी बांग्लादेश के बीरसेल से लेकर चटगांव के तटीय क्षेत्र में रहने वालों लोगों ने विस्थापन किया था। 117 किलो मीटर प्रति घंटे वाले मोर तूफान के कारण भी तटीय क्षेत्र के आस-पास रहने वाले कई लोग को विस्थापित किया गया है। यह तूफान बंगाल की खाड़ी से शुरू हुआ था। बताया जा रहा है कि इस प्राकृतिक आपदा का नाम वास्तव में एक थाई शब्द से लिया गया है। थाई शब्द मोरा का मतलब है स्टार ऑफ द सी यानि समुद्र का सितारा है।
अटलांटिक महासागर से शुरूआत हुई नामकरण की
तूफानों के नाम रखने की शुरूआत अटलांटिक महासागर से शुरू हुई। सौ साल पहले तूफानों को अटलांटिक तूफान का नाम दिया जाता था। यह परंपरा 1953 तक जारी रही। जो मियासी स्थित नेशनल हरिकेन सेंटर की पहल पर शुरू हुई थी। 1953 के बाद अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस परंपरा को बदलते हुए महिलाओं और भ्रष्ट नेताओं के नाम पर तूफानों से नाम रखने शुरू कर दिये। मगर 1978 आते-आते तूफानों के नामों में पुरूषों के नाम का भी प्रयोग होने लगा।
भारत में तूफान का नाम
भारत में हिंद महासगर में तूफानों के नाम रखने की व्यवस्था साल 2000 के समय सोची गई जिसकों 2004 में पहली बार शुरू किया गया। 2004 में हिंद महासागर के 8 तटीय देशों ( भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, मालदीव, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड ) ने आपस में समझौता किया। सभी ने नामों का एक सेट दिया है, जो क्रमिक रूप से सौंपा जाता है जब भी कोई चक्रवर्ती तूफान विकसित होता है तो वह देश नामों के क्रम में रखा जाता है। भारत की लिस्ट में अग्नि, आकाश, बिजली, जल जैसे तूफान 2004 से सम्मिलत हैं