इस्राइल में एक बार फिर यहूदी-मुस्लिम विवाद बढ़ता जा रहा है। यहां मुस्लिमों के मशूहर प्रार्थना स्थल पर बीते शुक्रवार (14 जुलाई, 2017) को अरब मूल के मुस्लिमों द्वारा दो इस्राइली पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद रविवार (16 जुलाई, 2017) को दोनों समुदाय के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार घटना येरूशलम की अल-अक्सा मस्जिद के कंपाउंड की है, जहां मस्जिद परिसर में इस्राइली सुरक्षा अधिकारियों द्वारा नए सुरक्षा फीचर लगाए जाने के बाद तनाव पैदा हो गया। इस्राइल के चैनल टू टीवी न्यूज के अनुसार इस विवाद में कुछ फिलिस्तीन नागरिक बुरी तरह घायल हुए हैं। घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पुलिस लोगों को बुरी तरह पीट रही है। ये जानकारी सिन्हुआ न्यूज के हवाले से है। वहीं इस विवाद में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। दरअसल ये विवाद तब हुआ जब इस्राइल की अरब सिटी अम-अल-हफम के दो लोगों ने मस्जिद परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे, मेटल डिटेक्टर और सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी पर एतराज जताया। जिसपर नाराज दोनों आरोपियों ने इस्राइली पुलिसकर्मियों को गोली मार दी। हादसे के तुंरत बाद सुरक्षा अधिकारियों ने तुंरत मस्जिद परिसर को बंद करने का आदेश जारी कर दिया। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि और भी विद्रोही मस्जिद के अंदर हो सकते हैं। बता दें पिछले 50 सालों में ऐसा पहली बार जब इस्राइल सरकार ने मुस्लिमों के तीसरे सबसे पवित्र स्थल को बंद किया हो।
रविवार (16 जुलाई, 2017) को इस्राइल प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा के बीच मुस्लिमों के पवित्र स्थल को दोबारा आम लोगों को खोल दिया। खबर के अनुसार अब मुस्लिमों को मस्जिद परिसर में जाने के लिए दो मेटल डिटेक्टर और अन्य सुरक्षा प्रणालियों से होकर गुजरना पड़ेगा। जानकारी के लिए बता दें कि मस्जिद में सिर्फ येरूशलम के मुस्लिमों को ही मस्जिद में जाने की अनुमति है। वहीं पुलिस ने कहा कि वे मस्जिद में जाने के लिए एक अतिरिक्त दरवाजा लगाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि मुस्लिमों की धार्मिक सोसाइटी वक्फ बोर्ड ने इसपर एतराज जताया है। बोर्ड ने कहा कि नई सुरक्षा प्रणालियों की वजह से नमाजियों को खासी परेशानी होगी। अल-अक्सा मस्जिद के डायरेक्टर उमर किसवानी ने मामले में पत्रकारों से कहा कि सरकार द्वारा मुस्लिमों के धार्मिक स्थल पर लोगों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाना गैर कानूनी है और यूएन एग्रीमेंट का उल्लंघन है।