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चीन ने डोकलाम के आसपास इलाकों में हेलिपैड का निर्माण किया…

डोकलाम विवाद को निपटे ज्यादा लम्बा वक़्त भी नहीं बीता कि चीन की ओर से डोकलाम के ट्राई जंक्शन के आस-पास फिर से बड़े स्तर पर निर्माण कार्यों को अंजाम दिया जाने लगा है। हाल ही में सैटेलाइट तस्वीरों से ये साफ पता चलता है कि चीन ने डोकलाम के आसपास के इलाकों में हेलिपैड का निर्माण किया है। सैनिकों के रहने के पुख्ता इंतेजाम और तमाम तरह के हथियार इलाके में तैनात किए गए हैं। यही कारण है कि भारतीय फौज सहित सरकार और संसद में भी इस मामले की गूंज सुनाई पड़ रही है।

दोनों देशों के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो पायी थी कि इससे पहले डोकलाम विवाद फिर से भारत के लिए चिंता का सबब साबित बनता जा रहा है। बता दें कि डोकलाम में पिछले साल दोनों देशों की सेनाएं 73 दिनों तक एक-दूसरे के आमने-सामने खड़ी थीं। डोकलाम विवाद के बाद जिस तरह से भारत और चीन के बीच तनाव देखने को मिला था उससे दोनों देशों के बीच युद्ध होने का अंदेशा भी लगाया जा रहा था। पिछले साल जून में शुरू हुई तनातनी के 73 दिन बाद चीन ने अगस्त में डोकलाम से अपने पैर पीछे खींच लिए थे। चीन को मालूम था कि सर्दी का मौसम शुरू होते ही पीएलए के सैनिक वहां बिना किसी तैयारी के टिक नहीं सकते हैं। लेकिन इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीन उत्तर-पूर्वी सरहद पर फिर से विवाद को हवा दे रहा है।

भारत पर दबाव बनाना चाहता है चीन

जानकारों की मानें तो चीन ने डोकलाम में हेलीपैड का निर्माण किया हैं, माना जा रहा है कि चीन इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाना चाहता है। भारत पर दबाव बनाने के लिए वह डोकलाम विवाद को थमने नहीं देना चाहता। कुछ वक्त पहले दोनों देशो के बीच हुई तनातनी के बाद कुछ वक्त के लिए शांति जरूर हुई थी, लेकिन अब चीन फिर से भारत को उकसाने वाले काम कर रहा है। चीन इस इलाके में लगातार निर्माण कार्य कर रहा है जो सैटेलाइट तस्वीरों में भी दिखाई दे रहा है। सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से साफ पता चलता है कि चीन ने डोकलाम में भारी निर्माण कार्य किया है। ये तस्वीरें डोकलाम में चीनी साजिश का जीता-जागता सुबूत हैं। इन तस्वीरों में चीन के सेनिकों को साफ देखा जा सकता है। तस्वीरों में चीनी सेना के टैंक और हेलीपैड भी नजर आ रहे हैं।

वन बेल्ट वन रोड पर भारत नहीं दे रहा समर्थन

रक्षा मामलों के जानकार रिटायर्ड मेजर जनरल पीके सहगल के मुताबिक ‘चीन, भारत पर दबाव बनाना चाहता है, ताकि वो चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कॉरिडोर (CPEC) पर भारत का समर्थन हासिल कर सके और चीन का ‘वन बेल्ट वन रोड’ का सपना भी साकार हो सके। वन वेल्ट वन रोड के जरिए चीन, एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 60 से अधिक देशो को सड़क और समुन्दर के रास्ते जोड़ना चाहता हैं।’ इन दोनों ही प्रोजेएक्ट में कई हजार करोड़ डॉलर का चीन निवेश कर रहा है और दोनों में ही भारत का समर्थन चीन को हासिल नहीं है। वहीं डोकलाम विवाद में पिछली बार जिस तरह चीन को मात खानी पड़ी, इसके चलते चीन बौखलाया हुआ है और इस बार भी चीन मौसम खुलने का इंतज़ार कर रहा है। ट्राई जंक्शन पर चीन की तैयारियां उसी का नतीजा हैं।

सीमा पर हालात कभी भी हो सकते हैं खराब

2017 में पैदा हुए गतिरोध के समाप्त होने के बाद दोनों पक्षों ने जवानों को अपनी-अपनी स्थितियों से दूर तैनात किया था। लेकिन तस्वीरों से ये पता चलता रहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान सर्दी के मौसम में भी इलाके में टिके रहे, इसके लिए चीन ने संतरी चौकियों, खंदकों और हेलीपैड समेत कुछ बुनियादी ढांचों का निर्माण किया है। ये पहला मौका नहीं है जब चीन की साजिश का पर्दाफाश हुआ है, इससे पहले भी खुद रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने एक बयान में कहा था कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति बेहद संवेदनशील है और पूर्वी सीमा पर स्थिति कभी भी खराब हो सकती है।

पीएम मोदी जाएंगे चीन

भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय बैठक की तैयारी भी चल रही है। चीन में जून के महीने में होने जा रही शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की समिट से पहले दोनों देश एक-दूसरे के साथ रिश्तों को मधुर करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समिट में भाग लेने के लिए चीन जाने वाले हैं। लिहाजा इस दौरे से पहले दोनों ही देश इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच हुई तल्ख बयानबाजी को पीछे छोड़ते हुए नए तौर पर रिश्तों की शुरुआत की जाए।

दलाई लामा से भारत सरकार ने बनायी दूरी

दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर करने की कवायद के बीच सरकार ने अधिकारियों से कहा है कि वह दलाई लामा द्वारा आयोजित कार्यक्रम से दूरी बनाएं। चीन से रिश्ते बेहतर हों, इसके लिए दलाई लामा के मुद्दे पर भारत के रुख में बदलाव आया है। इससे पहले दलाई लामा के बारे में भारत ने अपना रुख जाहिर करते हुए कहा था कि दलाई लामा पर हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट और स्थिर है कि वह श्रद्धेय अध्यात्मिक गुरु हैं और भारत में उनका सम्मान है।

चीन से बेहतर रिश्तों की तलाश में सरकार

गौरतलब है कि फरवरी माह में विदेश सचिव ने बीजिंग का दौरा किया था। दलाई लामा के निर्वासन की 60वीं जयंती के समारोहों को 31 मार्च को दिल्ली में होना था जो कि अब धर्मशाला में ही किया जाएगा। कुल मिलाकर सरकार चीन के साथ बेहतर रिश्तों की तलाश कर रही है। लेकिन इसमें कितनी कामयाबी हाथ लगती है ये आने वाला वक़्त ही तय करेगा। बता दें कि अप्रैल 2017 में दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के बाद से ही चीन और भारत के बीच रिश्तों पर दबाव महसूस किया जा रहा था। भारत को डोकलाम ट्राई जंक्शन में बढ़ी गतिविधियों और तनाव का सामना करना पड़ा था।

 

 

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