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चिनफिंग को जीवन भर’ के लिए राष्‍ट्रपति पद का रास्‍ता लगभग साफ…

चीन की सत्‍तारूढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी द्वारा शासन प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव की घोषणा के बाद देश के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग के अनिश्चितकाल तक के लिए राष्‍ट्रपति पद पर बने रहने का रास्‍ता लगभग साफ हो गया है।

आज 2, 900 से अधिक सदस्‍यों वाली दुनिया की सबसे बड़ी संसदीय इकाई ‘नेशनल पीपुल्‍स कांग्रेस’ राष्ट्रपति पद पर लगातार दो कार्यकाल की समयसीमा के संवैधानिक प्रावधान को खत्म करने के लिए वोट देगी, जिससे शी चिनफिंग को ‘जीवन भर’ के लिए राष्‍ट्रपति पद पर बने रहने की इजाजत मिल जाएगी।

कार्यकाल की समयसीमा खत्‍म करने का प्रस्‍ताव

गौरतलब है कि कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने देश के राष्ट्रपति और उप-राष्‍ट्रपति कार्यकाल की समयसीमा को खत्म करने का प्रस्‍ताव पेश किया है। मौजूदा समय में देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को लगातार दो कार्यकाल से ज्यादा बार पद पर बने रहने की अनुमति नहीं है।

2023 के बाद भी बने रहेंगे राष्‍ट्रपति पद पर

मौजूदा संविधान के तहत 64 वर्षीय चिनफिंग को दूसरा पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने पर राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ेगा। बतौर राष्ट्रपति उनका पहला कार्यकाल समाप्त होने वाला है। दूसरे कार्यकाल के लिए उन्हें चुने जाने की औपचारिकता जल्द पूरी की जाएगी। इसके लिए संसद की कार्यवाही आज से शुरू हो रही है। चिनफिंग 2013 से राष्‍ट्रपति पद पर हैं। प्रस्‍ताव पारित होने पर 2023 के बाद भी उनका राष्‍ट्रपति कार्यकाल जारी रहेगा।

पिछले साल अक्टूबर में सीपीसी के राष्ट्रीय सम्मेलन में चिनफिंग के दूसरे कार्यकाल पर मुहर लगी थी। एक तरह से उन्हें पार्टी का सर्वोच्च नेता घोषित किया गया। इससे पहले देश में तीन दशकों से सामूहिक पार्टी नेतृत्व की परंपरा चली आ रही थी। चिनफिंग कम्युनिस्ट पार्टी के साथ ही सेना के भी प्रमुख हैं। वर्ष 2016 में सीपीसी ने उन्‍हें कोर लीडर की उपाधि दी थी।

माओत्से के बाद बन जाएंगे सबसे ताकतवर नेता

प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति चिनफिंग, माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता बन जाएंगे। माओ ने वर्ष 1943 से 1976 तक चीन पर शासन किया था। देश के संविधान में कई और संसोधन भी प्रस्‍तावित है। इसमें चिनफिंग के राजनीतिक विचारों को भी शामिल किया जाएगा, जैसा कि पिछले साल पार्टी के संविधान में किया जा चुका है।

प्रस्‍ताव का चीन में खुलकर विरोध भी कर रहे लोग

चीन में इस प्रस्‍ताव का विरोध भी हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोग अपने विचार रख रहे हैं। कुछ लोग तो उत्‍तर कोरिया के शासन परंपरा से तुलना कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि हम भी उत्‍तर कोरिया की राह पर आगे बढ़ने लगे हैं। हालांकि सरकार की तरफ से भी प्रस्‍ताव को मंजूरी मिलने की मुहिम तेज है। इसका बचाव करते हुए कहा है कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभुत्व को बरकरार रखने के साथ ही नेतृत्व की एकता के लिए यह कदम जरूरी है।

चीन सरकार ने प्रस्‍ताव का किया इस तरह बचाव

नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसुई ने रविवार को मीडिया से कहा, ‘राष्ट्रपति का कार्यकाल निश्चित होता है, लेकिन पार्टी के मुखिया और सेना प्रमुख के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं होती। सीपीसी के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के महासचिव या अध्यक्ष पद पर कोई दो कार्यकाल से ज्यादा नहीं रह सकता। इसलिए संविधान में राष्ट्रपति के संदर्भ में भी यही प्रावधान होना चाहिए। यह देश की नेतृत्व प्रणाली की एकजुटता के लिए जरूरी है।’

अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप का भी मिला समर्थन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि मेरे विचार से यह अच्छी बात है कि अब चीन में राष्ट्रपति आजीवन इस पद पर बने रहेंगे। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने चुटकी ली कि हो सकता है अमेरिका में भी कभी कोई आजीवन राष्ट्रपति हो। साउथ फ्लोरिडा एस्‍टेट में रिपब्लिकन डोनर्स के लिए आयोजित भोज के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी की। ‘सीएनएन’ की खबर के अनुसार, यह टिप्पणी उसे मिली रिकॉर्डिंग पर आधारित है।

 

 

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