Hidden history in this temple, even after 3000 bombs dropped their is no loss.
राजस्थान के जोधपुर जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को हराने में तनोट माता की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि माता ने सैनिकों की मदद की जिसकी वजह से पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा था. जैसलमेर से थार रेगिस्तान में 120 किमी. दूर सीमा के पास तनोट माता का सिद्ध मंदिर है. बता दें, यह मंदिर केवल भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तानी सैनिकों के लिए भी आस्था का केंद्र रहा है.
23 सितंबर को 1965 इंडो-पाक वॉर को 53 साल हो चुके है . कहा जाता है कि 1965 वॉर के दौरान पाकिस्तान ने इस मंदिर पर करीब 3 हजार बमों से हमला किया, लेकिन मंदिर को कुछ भी नहीं हुआ. इसके साथ मंदिर में गिरे 450 बम तो फटे ही नहीं. माना जाता है की माता के आशीर्वाद से ऐसा हुआ.
बता दें कि, ये जगह युद्ध के बाद फेमस होती चली गई. जिसके बाद मंदिर को बीएसएफ ने अपने नियंत्रण में ले लिया. अब यहां की देख-रेख बीएसएफ के जवान ही करते हैं. मज़ेदार बात तो यह कि इस मंदिर के अंदर एक म्यूजियम भी है. जिसमें वे बम रखे हैं जो हमले के वक्त फटे नहीं थे. वार के बाद इस मंदिर की चर्चा न सिर्फ भारत में हुई बल्कि पाकिस्तान में भी हुई. आपको बता दें, पाकिस्तानी जनरल ने खुद इस मंदिर के दर्शन करने की परमिशन मांगी थी. जिसके बाद वे दर्शन करने यहां पहुंचे थे.