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जानिए कारण आखिर वैष्णों देवी में भक्तों की मुरादें पूरी क्यूँ हो जाती हैं?

Know why the reason why the devotees' wishes are fulfilled in the Vaishno Devi?

         

हिन्दू धर्म को मानने वाला हर हिन्दू की दिली तमन्ना होती हैं कि वो एक बार वैष्णो देवी जरूर जाय, ये एक ऐसा तीर्थ हैं जहाँ जाने कितने भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं, हर साल यहां हजारों लोग मां वैष्णों देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वैष्णों देवी में आखिर क्यों यहां भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं? हर साल वैष्णों देवी में हजारों भक्त आते हैं। यहां नवरात्र और उसके खत्म होने के बाद भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं और ये भीड़ लगातार ऐसे ही बानी रहती हैं यहाँ हर साल भीड़ बढ़ती ही जा रही हैं।

वैष्णो देवी का पवित्र धाम जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर के समीप स्थित है। यह उत्तरी भारत में सबसे पूजनीय पवित्र स्थलों में से एक है। मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हर साल लाखों तीर्थयात्री मंदिर का दर्शन करते हैं। इस मंदिर की देख-रेख श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा की जाती है। जम्मू के त्रिकूट पर्वत पर एक भव्य गुफा है और इस गुफा में प्राकृतिक रूप से तीन पिण्डी बनी हुई है। यह पिण्डी देवी सरस्वती, लक्ष्मी और काली की हैं। भक्तों को इन्हीं तीन पिण्डियों के दर्शन होते हैं लेकिन मां वैष्णो की यहां कोई पिण्डी नहीं है। माता वैष्णो यहां अदृश रूप में मौजूद हैं जिसकी वजह से यह स्थान वैष्णों देवी तीर्थ कहलाता है।

ऐसी मान्यता हैं कि 700 साल पहले एक ब्राह्मण पुजारी पंडित श्रीधर द्वारा वैष्णों देवी मंदिर का निर्माण लगभग कराया गया था। वह बहुत ज्यादा गरीब थे, उनके मन में मां वैष्णों देवी के लिए बहुत ज्यादा भक्ति थी। एक दिन मां उन्हें सपने में दिखी और कहा कि वो उनके लिए एक भंडारा कराए। मां वैष्णो देवी को समर्पित भंडारे के लिए एक शुभ दिन तय किया गया और श्रीधर ने आसपास के सभी गांव वालो को प्रसाद ग्रहण करने का न्योता भी दे दिया। गरीब ब्राह्मण के पास इतना भी धन भी नहीं था कि वो समुचित ढंग से माँ का भंडारा करा सके इसके लिए वो सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के काफी देर तक भिक्षा मांगते और लोगो से भंडारे में मदद के लिए बोलते मगर फिर भी उनके पास इतना भी सामान नहीं हो सका कि भंडारा हो पाए. मां वैष्णों देवी के इस भंडारे का दिन जैसे जैसे दिन निकट आता गया ब्राह्मण की चिंता बढ़ती ही जा रही थी। वे दिन रात बस यही सोच रहे थे कि इतने कम सामान के साथ भंडारा कैसे हो पाएगा? भंडारे से एक दिन पहले ब्राह्मण एक पल के लिए भी नहीं सो पा रहे थे यह सोचकर कि वे भक्तों को भोजन कैसे करा पाएंगे। वह सुबह तक समस्याओं से घिरे हुए थे और ऐसे में उन्हें बस देवी मां के किसी चमत्कार की उम्मीद थी।

ब्राह्मण अपनी कुटिया के बाहर पूजा के लिए बैठ गए और दोपहर तक भंडारे के लिए भक्तों का आवागमन शुरू हो गए। अब शुरू हुआ देवी माँ का चमत्कार, देवी माँ के आशीर्वाद से सभी लोग ब्राह्मण की छोटी सी कुटिया में आसानी से बैठ गए और इसके बाद भी कुटिया में जगह थी। इसके बाद जब ब्राह्मण ने अपनी आंखें खोली तो वो अचंभित हो गए और उन्होंने सोचा कि वो इन सभी भक्तों को भोजन कैसे करा पाएंगे? तब अचानक से उन्हें अपनी कुटिया के बाहर एक छोटी सी लड़की को आते हुए देखा, जिसका नाम वैष्णवी था। वह सभी को भंडारा खिला रही थी। भंडारे के बाद ब्राह्मण श्रीधर कन्या वैष्णवी के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे लेकिन अचानक से वैष्णवी गायब हो गई और उसके बाद किसी को नहीं दिखी। कुछ दिनों के बाद ब्राह्मण ने वैष्णवी कन्या को सपने में देखा तब जाकर उन्हें ये स्पष्ट हुआ कि वो कोई और नहीं साक्षात् मां वैष्णो देवी थी।

कन्या के रूप में आई माता रानी ने ब्राह्मण को अपनी दिव्य गुफा के बारे में बताया। इसके बाद ब्राह्मण श्रीधर मां की गुफा की तलाश में निकल पड़े। जब उन्हें वह गुफा मिली तो उन्होंने तय किया की वह अपना सारा जीवन मां की सेवा करेंगे। आज भी पंडित श्रीधर के वंशज मां वैष्णो देवी के इस पवित्र धाम की सेवा पूजा करते चले आ रहे हैं। आज देश-विदेश से लोग अपनी मन्नतें लेकर वैष्णों देवी के धाम आते हैं, और खुशी-खुशी अपनी मन्नत पूरी होने पर माँ के नाम का भंडारा करवाते हैं। माता रानी का यह धाम असीम उर्जावान केंद्र है।

इन बातों का रखें ख्याल-
1. वैसे तो माँ वैष्णो देवी के दर्शनार्थ वर्षभर श्रद्धालु जाते हैं परंतु यहाँ जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।
2. सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अत: इस मौसम में यात्रा करने से बचें।
3. ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढि़यों का उपयोग ‍न करें।
4. भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहाँ तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयाँ जरूर रखें।
5. चढ़ाई के वक्त जहाँ तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएँ ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो।
6. पैदल चढ़ाई करने में छड़ी आपके लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी।
7. ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे।
8. माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा।

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