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चीन की यात्रा से स्वदेश लौटे नरेंद्र मोदी! चीनी मीडिया ने कहा…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के साथ वुहान में दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद आज शनिवार को स्वदेश लौट आए. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री की अगवानी की. एशिया के दो शक्तिशाली नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक मुलाकात को लेकर भारत-चीन संबंधों को नए सिरे से देखा जा रहा है. डोकलाम विवाद के बाद रिश्तों में आई खटास अब कम हो रही है. निश्चित ही यह मुलाकात दो एशियाई महाशक्तियों द्वारा लिखी गई नई इबारत के रूप में देखी जा रही है. दोनों देशों की मीडिया को भी इस मुलाकात से मधुर संबंधों की नई कोपलें फूटती नजर आ रही हैं.

चीनी मीडिया ने इस मुलाकात को ‘दिल से दिल’ की बात शीर्षक से प्रकाशित किया है. ‘चाइना डेली’ ने अपने एक आलेख में कहा, ‘शी जिनफिंग और नरेंद्र मोदी के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता की खूबसूरती यह है कि इसमें कोई लाव-लश्कर नहीं था सिर्फ आकांक्षाएं थीं. यह वार्ता प्रचलित कूटनीतिक तामझाम से मुक्त रही, बल्कि कुछ हद तक वैश्विक मीडिया की चकाचौंध से परे थी.’

‘चाइना डेली’ ने कहा, ‘जैसी अपेक्षा थी वैसे ही दोनों नेताओं ने आपस में दिल से दिल की बात की, जिसमें उनके बीच की केमिस्ट्री की गहराई प्रतिबिंबित हुई. इसके फलस्वरूप दोनों पड़ोसियों के बीच आपस में भरोसा बढ़ेगा और लंबी अवधि के द्विपक्षीय विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.’

डोकलाम पर बिगड़े संबंध
भारत और चीन के बीच 1962 के युद्ध के कारण तनावपूर्ण संबंध रहा है. दोनों देशों के रिश्तों में पिछले साल विवादित सीमा को लेकर पिछले साल पैदा हुए सैन्य-गतिरोध से खटास आई थी. हालांकि बातचीत के जरिए अगस्त में गतिरोध दूर हुआ. चीनी अखबार ने कहा कि पिछले साल गर्मी के दिनों में सीमा पर पैदा हुआ गतिरोध आपस में संदेह का महज एक उदारहण है जो दोनों देशों को संभावित अविश्वास की याद दिलाता रहेगा. फिर भी न तो बीजिंग और न ही दिल्ली एकदूसरे को दुश्मन बताता है, जो इस बात का परिचायक है कि दोनों द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की उम्मीद करते हैं.

अखबार ने चीन और भारत को नैसर्गिक साझेदार बताते हुए कहा कि दोनों इस बात को मानते हैं कि अन्य विकासशील देश भी इनसे विश्व-व्यवस्था को अधिक समतुल्य बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार की आशा रखते हैं. ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि अनौपचारिक शिखर वार्ता से चीन और भारत के बीच रिश्तों में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी.

वहीं, चीन के पीपल्स डेली ने शी जिनफिंग के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सहमति से चीन-भारत संबंधों को सकारात्मक संकेत मिले हैं और आपस में लाभकारी सहयोग को बढ़ाने की दिशा में उभरती हुई दो अर्थव्यवस्थाओं की दृढ़ मंशा प्रतिबिंबित हुई है.

BRI को लेकर भारत पर कोई दबाव नहीं
चीन के उप विदेश मंत्री कांग श्वानयू ने कहा कि आपसी – संपर्क को लेकर भारत के साथ उसका कोई बुनियादी मतभेद नहीं है और बेल्ट एंड रोड इनिशियटिव (BRI) को लेकर वह नई दिल्ली पर अधिक दबाव नहीं डालेगा. कांग श्वानयू ने कहा, ‘हमें लगता है कि आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के मुद्दे पर चीन और भारत के बीच कोई बुनियादी मतभेद नहीं है.’

चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने 2013 में सत्ता में आने के बाद कई अरब डॉलर के इस योजना की शुरुआत की थी. बीआरआई दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में बड़ा बाधक रहा है. इस योजना के अंतर्गत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) भी शामिल है, जिसका भारत विरोध करता रहा है क्योंकि यह योजना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है.

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