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पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था हुयी चौपट, पाक रुपया हुआ ‘कचरा’

Pakistan’s economy swept, Pak rupiah became ‘garbage’.

पाकिस्तानी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपना मूल्य लगातार खो रही है. एक अमरीकी डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपए की क़ीमत 120 रुपए तक चली गई. इसके साथ ही पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही कमी से भी जूझ रहा है.

पाकिस्तान के पास अब 9 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था. पाकिस्तान के प्रमुख अख़बार डॉन का कहना है कि पाकिस्तान भुगतान संकट से निपटने के लिए एक बार फिर चीन की शरण में जा रहा है और एक से दो अरब डॉलर का क़र्ज़ ले सकता है.

पाकिस्तान में जुलाई महीने में आम चुनाव होने वाले हैं और चुनाव के बाद पाकिस्तान आईएमएफ़ की शरण में भी जा सकता है. इससे पहले पाकिस्तान ने 2013 में आईएमएफ़ का दरवाज़ा खटखटाया था.

19 सितंबर को पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 9 अरब डॉलर से भी नीचे पहुंच गया था. एसबीपी का कहना है कि यह दो महीने से भी कम के आयात बिल की रक़म है. पिछले हफ़्ते इसमें तीन करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी.

पाकिस्तान की सरकार अभी स्पष्ट रूप से कुछ कह नहीं रही है कि तत्काल कितनी विदेशी मुद्रा चाहिए. पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने कहा है कि इस साल के दिसंबर तक पाकिस्तान को आठ अरब डॉलर के विदेशी क़र्ज़ का भुगतान करना है.

अगर पाकिस्तान इसका भुगतान नहीं करता है तो उसे डिफॉल्टर बनने का तमगा अपने सिर बांधना होगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इसी संकट और ज़रूरत को देखते हुए 1980 के दशक के बाद से 13वीं बार आईएमएफ़ की शरण में जाने का फ़ैसला किया है. पाकिस्तान को वित्त वर्ष 2019 में एक अनुमान के मुताबिक़ 22 से 25 अरब डॉलर चाहिए.

आईएमएफ़ ने पाकिस्तान से चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर में चीनी कर्ज़ का हिसाब मांगा है, पर चीन नहीं चाहता है कि ये सार्वजनिक हो. इसके साथ ही पाकिस्तान को अपने रुपए की क़ीमत एक डॉलर की तुलना में कम से कम 150 रुपए तक ले जाने की सलाह दी गई है और ज़ाहिर है इसका असर देश में महंगाई पर पड़ेगा.

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