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पर्यावरण अपनी हत्या का बदला लेगा तो कोई नहीं बचेगा !

The environment will take revenge for its killing, so no one will survive!

  

सर्वप्रथम आप सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। हो सकता है आप में से बहुत लॉगों ने आज के दिन बहुत पर्यावरण सरंक्षण के लिए बड़े-बड़े आयोजन किये हो या पेड़ लगाकर पर्यावरण सरंक्षण के लिए सबको प्रेरित किया हो। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टग्राम, WhatsApp और अन्य सोशल मीडिया पर पर्यावरण दिवस के बधाई संदेशो से पटा पड़ा है, मगर व्यावहारिक जीवन में क्या हम रोज ऐसा करते है जिससे वाक़ई पर्यावरण संरक्षित हो सके?
हम और हमारी सरकार दोनों को मिलकर इस गंभीर विषय पर सोचना होगा। अगर देखा जाय तो हम अपने जीवन में प्रदूषण के ग्राफ को प्रतिदिन ऊपर करते ही जा रहे हैं। मुख्यतः हम जल, वायु, मृदा, ध्वनि और रेडिएशन के प्रदूषण से प्रभावित हैं। बचपन में हम सबने स्कूल में इस विषय पर काफी पढ़ा है, मगर क्या हमने कभी इस विषय अपने आपसे या अपनी पीढ़ी से इस बारे में बात की कि आज हम जो पर्यावरण की क्षति कर रहे है उससे हम पर या हमारे आने वाली पीढ़ी को क्या मिलने वाला है?
1. जल- जिस तरह से हम बेहताशा पानी को बर्बाद कर रहे है आने वाले समय में हम आगे के लिए कुछ छोड़कर नहीं जा पाएंगे। जल-दोहन एक भारी समस्या है। हम जिस नदी को माँ समझकर पूजते है उसी में गंदे नाले का पानी छोड़ते है. लाशें फेंकते हैं, कचड़ा फेंकते है। आज आप किसी भी नदी का उदाहरण ले लीजिये क्या आप गंगा नदी के जल को सीधे पीने कि हिम्मत जुटा पाएंगे? ये छोड़िये आप आचमन कर पाएंगे? नहीं ना। घर में जो पानी आता है उससे हम सड़क और गाड़ियां धुलते है। किसान को ये पता ही नहीं कि जो फसल हम लगाते है उसे जल-भराव की जगह फुहारे की मदद से भी सींच सकते है।
2. वायु- शहरीकरण होने का सबसे बड़ा दुष्परिणाम ये हुआ है कि पेट्रोल या डीजल गाड़ियों की एक लम्बी कतार सड़को पर लगा दी है जिससे चलने के लिए जगह तो बची ही नहीं साथ ही साथ हवा में जहर घोल रहे है सो अलग। इसका उपाय ये हो सकता है कि बैटरी चलित वाहनों, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, पूलिंग और Odd-Even जैसे प्रयोग को प्रोत्साहन देना होगा। पेड़ो को सड़क चौड़ीकरण के नाम पर उनकी हत्या ना किया जाय. टाइल्स और रक्षक-जालियों के बीच में दबाकर उनको फांसी ना दिया जाय। कूड़ा और खेतों में अवशेष ना जलाया जाय। दिवाली और शादी-ब्याह में बेफज़ूल का दिखावा करके पटाखे छुड़ाने की होड़ (अभी हाल ही में दिल्ली और NCR में इसकी वजह से स्कूल बंद किये गए थे) को छोड़ना होगा।
3. मृदा- प्लास्टिक और उनके उपोत्पाद, कीटनाशक, इलेक्ट्रॉनिक कचड़ा मृदा के साथ साथ हमारे जीवन के भी दुश्मन है, क्यूंकि अन्न धरती से ही पैदा होकर हमारे शरीर में जाता है।
4. ध्वनि– ये पर्यावरण का जीव-जगत का एक अपरोक्ष शत्रु है जो घातक रूप से हमारे शरीर को प्रभावित करता है। इसको आपने तब महसूस किया होगा जब कोई तेज़ आवाज़ में DJ बजाता है। गाड़ी में लगे प्रेशर हॉर्न की आवाज़ आपके कानों और दिल को तकलीफ पहुंचाई होगी।
5. रेडिएशन- सच पूछा जाय तो इस प्रदूषण पर रोकथाम की सीधी जिम्मेदारी हर देश की सरकार की है। आपको इतिहास और वर्तमान में ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जब कई देशो ने बिना दूरगामी प्रभावों की चिंता किये शक्ति परिक्षण के नाम पर हाइड्रोजन बम, एटम बम, Nuclear-Weapons. बायो-हैजर्ड गैसेस और कई तरह की मिसाइल्स का परिक्षण किया । आपने इतिहास में नागासाकी और हिरोशिमा, भोपाल गैस कांड, मुंबई गैस कांड और चेर्नोबिल हादसा तो पढ़ा ही होगा, जिसका प्रभाव आज भी हम देख सकते हैं।

समझिये कि हम विकास की तरफ नहीं विनाश की तरफ बढ़ रहे है। ना यकीन आये तो आपने आस पास थोड़ा झांकिए और समझने की कोशिश कीजिये कि आखिर शहरों का तापमान इतना क्यों बढ़ गया है? ग्लेसिअर क्यों पिघल रहे है? नदियों और भूमि का जल स्तर क्यों कम होता जा रहा है? बेमौसम बारिश या बाढ़ क्यों हो रहा है? साँस लेने के लिए मास्क क्यों लगाना पड़ता है? किडनी/लिवर/ह्रदय/श्वांस सम्बंधित रोगो में बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है?
अगर समय रहते समझ जायेंगे तब तो आप वाक़ई जागरूक है,  वरना सोशल मीडिया और राउंड-टेबल-कॉन्फ्रेन्सेस तक ही हमारा  सिमट कर रह जाने में ज्यादा वक़्त नहीं बचा है।  ये चार मूलमंत्र है, अपनी आबादी को सुरक्षित भविष्य देने के लिए वरना इतिहास से सबक ना लेने की आदत तो पुरानी है ही हमारी.

Copyright- @TheSuneelMaurya

the authorSunil Maurya
Karm se Engineer Mun se Social Activist

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