When the mother helpless, she said, “My daughter is very young, rape one by one!”
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कुछ दिनों पहले जब ISIS का कहर पूरी दुनिया पर चरम पर था तो ISIS के चंगुल से बच निकलने वाली एक महिला ने इस बात का खुलासा किया कि IS के आतंकी सबके सामने महिलाओं का खुलेआम बलात्कार करते हैं। ISIS के आतंकी महिलाओं और लड़कियों का उनके परिवार के सामने बलात्कार करने लगे थे।
इससे पहले जून 2018 में बिहार के गया जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आयी थी, जब कुछ गुंडों ने एक डॉक्टर पिता एक पेड़ से बांध दिया और उन्ही के सामने उनकी पत्नी और 15 वर्षीय बेटी को गैंगरेप किया। कैसा रहा होगा वो मंजर, कैसे बर्दाश्त किया होगा उस पिता ने ये सब कुछ, हम केवल महसूस ही कर सकते है, मगर जो दर्द उनका परिवार झेल रहा है वो व्यक्त करने के लिए शब्दों से परे है।
इसके अलावा जब कभी टीवी पर हम अपने परिवार के साथ कोई अश्लील या रेप सीन देखते हैं तो या तो हम मुँह घुमा लेते हैं या तो रिमोट से चैनल बदल देते है क्यूंकि हम ऐसे दृश्य अपने परिवार के साथ बैठ कर देखने के आदि नहीं हैं। लेकिन आप ज़रा वो मंजर महसूस कीजिये जब एक बेबस माँ के सामने उसकी 14 साल की बच्ची को भीड़ ने बलात्कार किया और माँ ने बेबसी से कहा – अब्दुल अली, एक-एक करके करो, वो मर जाएगी…मैं रहम की भीख मांगती हूँ।
ये सच्ची घटना अनिल चंद्र और उनका परिवार बेटी पूर्णिमा के साथ 8 अक्तूबर 2001 में बांग्लादेश के सिराजगंज में घटित हुई थी। इस भयानक सजा के मिलने की बस इतनी सी वजह थी कि उनके पास पर्याप्त जमीन थी और हिंदू होकर 14 साल की बेटी के साथ बांग्लादेश में रहना। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिद ज़िया के पार्टी से सम्बंधित कुछ उन्मादी लोगों का यही सवाल था- एक क़ाफिर के पास इतनी जमीन कैसे रह सकती है..? 8 अक्तूबर के दिन अब्दुल अली, अल्ताफ हुसैन, हुसैन अली, अब्दुर रउफ, यासीन अली, लिटन शेख और 5 अन्य लोगों यानि कुल 11 लोगों ने अनिल चंद्र के घर पर धावा बोल अनिल चंद्र को डंडो से मारकर बाँध दिया, और उनको काफ़िर कहकर गालियां देने लगे। इसके बाद इन शैतानों ने मां के सामने ही उसकी 14 साल की निर्दोष बच्ची की अस्मिता को तार-तार कर दिया। उस वक्त जो शब्द उस बेबस लाचार मां के मुँह से निकले वो इंसानियत को झकझोर देने वाले हैं। अपनी बेटी के साथ होते इस अत्याचार को देखकर उसने कहा “अब्दुल अली, एक-एक करो उसका बलात्कार नहीं तो मर जाएगी, वो सिर्फ 14 साल की है।”
इसके बाद अनिल चंद्र ने किसी तरह होंश में आने के बाद खुद पुलिस स्टेशन गए लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। जब ये मामला पूरे बांग्लादेश के अख़बारों में छापा गयामें आया, तब जाकर 6 दरिंदो को पकड़ा गया। ये घटना कभी किसी भारतीय न्यूज़पेपर या चैनल में नहीं नजर आई। पूरी घटना बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी अपनी किताब “लज्जा” में लिखी जिसके बाद से उनको देश छोड़ना पड़ा। ये पूरी घटना इतनी हैवानियत से भरी है पर आजतक भारत में किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत तक नहीं दिखाई है, न ही किसी मीडिया हाऊस ने इसपर कोई कार्यक्रम करने की हिम्मत जुटाई। इतना हो हल्ला होने बावजूद आज तक सिर्फ 11 में से 6 दरिंदो को उम्रकैद की सजा हुई है बाकि 5 अब भी गायब है। ये सभी 24 साल से 55 साल तक के थे।